10 भूगोल

विनिर्माण उद्योग

जूट उद्योग

कच्चे जूट और जूट से बने सामानों के मामले में भारत विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक है। बंगलादेश के बाद भारत जूट का दूसरे नंबर का निर्यातक है। भारत की 70 जूट मिलों में ज्यादातर पश्चिम बंगाल में हैं जो मुख्यतया हुगली नदी के किनारे स्थित हैं। जूट उद्योग एक पतली बेल्ट में स्थित है जो 98 किमी लंबी और 3 किमी चौड़ी है।

हुगली घाटी के गुण

हुगली घाटी के मुख्य गुण हैं; जूट उत्पादक क्षेत्रों से निकटता, सस्ता जल यातायात, रेल और सड़क का अच्छा जाल, जूट के परिष्करण के लिये प्रचुर मात्रा में जल और पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश से मिलने वाले सस्ते मजदूर।

जूट उद्योग सीधे रूप से 2.61 लाख कामगारों को रोजगार प्रदान करता है। साथ में यह उद्योग 40 लाख छोटे और सीमांत किसानों का भी भरण पोषण करता है। ये किसान जूट और मेस्टा की खेती करते हैं।

जूट उद्योग की चुनौतियाँ

जूट उद्योग को सिंथेटिक फाइबर से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। साथ में इसे बंगलादेश, ब्राजील, फिलिपींस, मिस्र और थाइलैंड से भी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। सरकार ने पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग की नीति बनाई है। इसके कारण देश के अंदर ही मांग में वृद्धि हो रही है। 2005 में नेशनल जूट पॉलिसी बनाई गई थी जिसका उद्देश्य था जूट की उत्पादकता, क्वालिटी और जूट किसानों की आमदनी को बढ़ाना। विश्व में पर्यावरण के लिये चिंता बढ़ रही है और पर्यावरण हितैषी और जैवनिम्नीकरणीय पदार्थों पर जोर दिया जा रहा है। इसलिये जूट का भविष्य उज्ज्वल दिखता है। जूट उत्पाद के मुख्य बाजार हैं अमेरिका, कनाडा, रूस, अमीरात, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया।

चीनी उद्योग

विश्व में भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत गुड़ और खांडसारी का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में 460 से अधिक चीनी मिलें हैं; जो उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और मध्य प्रदेश में फैली हुई हैं। साठ प्रतिशत मिलें उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं और बाकी अन्य राज्यों में हैं। मौसमी होने के कारण यह उद्योग को‌-ऑपरेटिव सेक्टर के लिये अधिक उपयुक्त है।

हाल के वर्षों में चीनी उद्योग दक्षिण की ओर शिफ्ट कर रहा है। ऐसा विशेष रूप से महाराष्ट्र में हो रहा है। इस क्षेत्र में पैदा होने वाले गन्ने में शर्करा की मात्रा अधिक होती है। इस क्षेत्र की ठंडी जलवायु से गन्ने की पेराई के लिये अधिक समय मिल जाता है।

चीनी उद्योग की चुनौतियाँ: इस उद्योग की मुख्य चुनौतियाँ हैं; इसका मौसमी होना, उत्पादन का पुराना और कम कुशल तरीका, यातायात में देरी और खोई (baggage) का अधिकतम इस्तेमाल न कर पाना।