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कृषि

भूदान: ग्रामदान और भूमि सुधार

भूमि सुधार पहली पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य था। विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन चलाया था ताकि बड़े जमींदार अपनी कुछ जमीन भूमिहीन किसानों को दान कर दें। कई लोग भूदान आंदोलन के समर्थन में आगे आये और अपनी जमीन दान में दे दी।

जब जोत छोटी होती है तो कृषि प्रबंधन सही ढ़ंग से नहीं हो पाता है। इस समस्या को दूर करने के लिये सरकार ने भूमि सुधार के लिये कई कदम उठाये हैं। इसके लिये जमीन की सीमाओं में फेरबदल किये गये जिससे एक किसान की सारी जमीन एक ही प्लॉट में आ जाये। ऐसे सुधार पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में सफल हुए। लेकिन अधिकतर राज्यों के किसानों ने इसपर सहयोग नहीं किया। इसलिये अन्य राज्यों में भूमि सुधार नहीं हो पाया।

हरित क्रांति

हरित क्रांति की शुरुआत 1960 और 1970 के दशक में हुई। इस क्रांति का मुख्य उद्देश्य था कृषि उपज को बढ़ाना। इस क्रांति में नई टेक्नॉलोजी और अधिक उपज देने वाली बीजों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया। हरित क्रांति के परिणाम सुखद आये; खासकर पंजाब और हरियाणा में।

श्वेत क्रांति

श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) की शुरुआत दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिये हुई।

1980 और 1990 के दशकों में भूमि विकास के लिए एक व्यापक कार्यक्रम शुरु किया गया। इस कार्यक्रम में संस्थागत और टेक्नॉलोजिकल दोनों पहलुओं पर जोर दिया गया। किसानों को नुकसान की भरपाई के लिये बाढ़, सूखा, चक्रवात, आग और बीमारी के लिए फसल बीमा की सुविधा दी गई। किसानों को आसानी से कर्ज मुहैया कराने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण बैंक और को-ऑपरेटिव सोसाइटी खोली गई।

किसानों के फायदे के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस स्कीम और कई अन्य स्कीम को लाया गया।

सरकारी टेलिविजन चैनल और रेडियो पर कृषि से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं और मौसम की बुलेटिन भी आती है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। उस मूल्य पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है ताकि बिचौलियों के कुचक्र को तोड़ा जा सके।

वर्तमान स्थिति

वर्तमान में कृषि क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है। इस क्षेत्र में विकास तेजी से नीचे गिर रहा है। आयात शुल्क में कटौती के कारण यहाँ के किसानों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से कड़ी टक्कर मिल रही है। कृषि क्षेत्र में निवेश नहीं हो पा रहा है। इस क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर नहीं पनप रहे हैं।

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि की भागीदारी 1951 से लगातार गिर रही है। इसके बावजूद अभी भी कृषि क्षेत्र ही सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। कृषि में होने वाली गिरावट के भयानक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि इसका प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

कृषि के आधुनिकीकरण के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। भारत में कृषि सुधार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), कृषि विश्वविद्यालय, पशु चिकित्सा सेवा, पशु प्रजनन केंद्र, बागवानी, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर खास ध्यान दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत ढ़ाँचे के सुधार के लिए भी सरकार कई कदम उठा रही है।