10 भूगोल

खनिज संसाधन

ऊर्जा संसाधन

परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जलावन, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली।

गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा।

जलावन और उपले: अनुमानित आंकड़े के अनुसार ग्रामीण घरों की ऊर्जा की जरूरत का 70% भाग जलाव और उपलों से पूरा होता है। जंगलों के तेजी से कटने के कारण जलावन की लकड़ियाँ मिलना पहले से मुश्किल होता जा रहा है। यदि गोबर का इस्तेमाल खाद बनाने में किया जाये तो वह उपले बनाने से अधिक लाभप्रद होगा। इसलिये यह जरूरी है कि उपलों का इस्तेमाल कम होना चाहिए।

कोयला:

भारत की वाणिज्यिक ऊर्जा जरूरतों के लिये कोयला सबसे महत्वपूर्ण है। संपीड़न की मात्रा, गहराई और समय के अनुसार कोयले के तीन प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं।

लिग्नाइट: यह एक निम्न दर्जे का भूरा कोयला है। लिग्नाइट मुलायम होता है और इसमें अधिक नमी होती है। लिग्नाइट के मुख्य भंडार तमिल नाडु के नैवेली में हैं। इस प्रकार के कोयले का इस्तेमाल बिजली के उत्पादन में होता है।

बिटुमिनस कोयला: जो कोयला उच्च तापमान के कारण बना था और अधिक गहराई में दब गया था उसे बिटुमिनस कोयला कहते हैं। वाणिज्यिक इस्तेमाल के दृष्टिकोण से यह सबसे लोकप्रिय कोयला माना जाता है। बिटुमिनस कोयले को लोहा उद्योग के लिये आदर्श माना जाता है।

एंथ्रासाइट कोयला: यह सबसे अच्छे ग्रेड का और सख्त कोयला होता है।

भारत में पाया जाने वाला कोयला दो मुख्य भूगर्भी युगों की चट्टानों की परतों में मिलता है। गोंडवाना कोयले का निर्माण बीस करोड़ साल पहले हुआ था। टरशियरी निक्षेप के कोयले का निर्माण लगभग साढ़े पाँच करोड़ साल पहले हुआ था। गोंडवाना कोयले के मुख्य स्रोत दामोदर घाटी में हैं। इस बेल्ट में झरिया, रानीगंज और बोकारो में कोयले की मुख्य खदाने हैं। गोदावरी, महानदी, सोन और वर्धा की घाटियों में भी कोयले के भंडार हैं।

टरशियरी कोयला पूर्वोत्तर के मेघालय, असम, अरुणाचल और नागालैंड में पाया जाता है।

पेट्रोलियम

कोयले के बाद, भारत का मुख्य ऊर्ज संसाधन है पेट्रोलियम। पेट्रोलियम का इस्तेमाल कई कार्यों में ऊर्जा के स्रोत के रूप में होता है। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में कई उद्योगों में होता है। उदाहरण: प्लास्टिक, टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आदि।

भारत में पाया जाने वाला पेट्रोलियम टरशियरी चट्टानों की अपनति और भ्रंश ट्रैप में पाया जाता है। चूना पत्थर या बलुआ पत्थर की सरंध्र परतों में तेल पाया जाता है जो बाहर भी बह सकता है। लेकिन बीच बीच में स्थित असरंध्र परतें इस तेल को रिसने से रोकती हैं। इसके अलावा सरंध्र और असरंध्र परतों के बीच बने फॉल्ट में भी पेट्रोलियम पाया जाता है। हल्की होने के कारण गैस सामान्यतया तेल के ऊपर पाई जाती है।

भारत का 63% पेट्रोलियम मुम्बई हाई से निकलता है। 18% गुजरात से और 13% असम से आता है। गुजरात का सबसे महत्वपूर्ण तेल का क्षेत्र अंकलेश्वर में है। भारत का सबसे पुराना पेट्रोलियम उत्पादक असम है। असम के मुख्य तेल के कुँए दिगबोई, नहरकटिया और मोरन-हुगरीजन में हैं।