7 इतिहास

शासक और इमारतें

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: वास्तुकला का अनुप्रस्थ टोडा निर्माण सिद्धांत चापकार सिद्धांत से किस तरह भिन्न है?

उत्तर: अनुप्रस्थ टोडा निर्माण शैली में दो खड़े खंभों के आर पार एक शहतीर रखी जाती है। उस शहतीर पर अधिरचना का भार टिका होता है। चापकार शैली में एक मेहराब पर अधिरचना का भार टिका होता है।

प्रश्न 2: शिखर से आपका क्या तात्पर्य है?

उत्तर: मंदिर के मुख्य भवन के सबसे ऊँचे भाग को शिखर कहते हैं। मंदिर का गर्भ गृह (जहाँ मुख्य देवी-देवता की मूर्ति होती है) ठीक शिखर के नीचे होता है।

प्रश्न 3: पितरा-दूरा क्या है?

उत्तर: डिजाइन की एक खास शैली का नाम पितरा-दूरा है। इस शैली में संगमरमर या किसी अन्य पत्थर पर उकेर कर डिजाइन बनाई जाती है और फिर उस डिजाइन में रंगबिरंगे बेशकीमती पत्थरों को भरा जाता है।

प्रश्न 4: एक मुगल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं?

उत्तर: मुगल चारबाग में औपचारिक बाग को चार बराबर हिस्सों में बाँटा जाता है। इसलिए इसे चारबाग कहते हैं। मुख्य भवन अक्सर चारबाग के बीचोंबीच होता है। कुछ उदाहरणों में मुख्य भवन, चारबाग के एक छोर पर भी हो सकता है।

प्रश्न 5: किसी मंदिर से एक राजा की महत्ता की सूचना कैसे मिलती थी?

उत्तर: आठवीं से अठारहवीं सदी के दौरान मंदिर बनाने में बहुत खर्च आता था। इसलिए विशाल मंदिरों का निर्माण शासकों ने ही करवाया था। मंदिर के माध्यम से शासक प्रजा को अपने राजा होने के नैतिक अधिकार का पाठ पढ़ाने की कोशिश करता था। इसलिए मंदिरों में बेशकीमती मूर्तियाँ और जवाहरात रखे जाते थे। धन-धान्य से संपन्न मंदिर का मतलब होता था कि राजा भी हर तरह से संपन्न होगा।

प्रश्न 6: दिल्ली में शाहजहाँ के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है – "अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।" यह धारणा कैसे बनी?

उत्तर: शाहजहाँ द्वारा बनाये हर भवन में वास्तुकला और शिल्पकला की खूबसूरती नजर आती है। दीवान-ए-खास में लगभग हर शैली का अनूठा संगम देखने को मिलता है। इसलिए दीवान-ए-खास की भव्यता और वहाँ का माहौल कमाल का रहता होगा। शायद इसलिए यह लिखा गया होगा कि अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह वहीं है।

मूल रूप से, किसी शायर ने कहा था, "गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त/ हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त"

दीवान-ए-खास के बारे में अभिलेख में यही लिखा गया है। एक बार गालिब ने इसी तर्ज पर दिल्ली के बारे में लिखा था, "यदि दुनिया शरीर है, तो दिल्ली आत्मा है"

प्रश्न 7: मुगल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को समान न्याय मिलेगा?

उत्तर: दीवान-ए-आम में रखा बादशाह का सिंहासन ऐसी जगह पर है कि दरबार में बैठे हर किसी को मक्का की ओर मुँह करके बैठना पड़ता था। इसलिए उस सिंहासन को लोग किबला भी कहते थे। मुसलमान जिस तरफ घूम कर नमाज अदा करते हैं उसे किबला कहते हैं। ऐसे में लोगों के बीच यह भावना भर जाती होगी कि बादशाह, अल्लाह का प्रतिनिधि है। सिंहासन के पीछे पितरा-दूरा की शैली में ऑर्फियस को वीणा बजाते दिखाया गया है। ऐसा माना जाता था कि ऑर्फियस का संगीत सुनकर हिंसक पशु भी शांत हो जाता है। ऐसे शांतिपूर्ण माहौल में हर किसी को न्याय की उम्मीद होती होगी।

प्रश्न 8: शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी?

उत्तर: इस नए शहर के यमुना नदी पानी का मुख्य स्रोत थी। यमुना नदी तक पहुँच पर नियंत्रण करके बादशाह पूरे शहर पर प्रतीकात्मक रूप से अपना आधिपत्य दिखाना चाहता था। इसलिए कुछ खास अभिजातों को छोड़कर किसी अन्य को यमुना के किनारे घर बनवाने की अनुमति नहीं थी। अन्य लोगों को वहाँ से दूर, शहर में घर बनवाने की इजाजत थी।

प्रश्न 9: आज धनी और शक्तिशाली लोग विशाल घरों का निर्माण करवाते हैं। अतीत में राजाओं और उनके दरबारियों के निर्माण किन मायनों में इनसे भिन्न थे?

उत्तर: आज धनी और शक्तिशाली जिन घरों को बनवाते हैं वे अक्सर उनके निजी इस्तेमाल के लिए होते हैं। लेकिन अतीत में राजाओं और उनके दरबारियों द्वारा निर्मित विशाल भवनों को या तो जनता के इस्तेमाल के लिए बनवाया जाता था या फिर शासकों की विलासिता के लिए। इन भवनों के माध्यम से प्रजा को शासक की धन-संपदा, वैभव और शक्ति का संदेश भी दिया जाता था।