जीवों के चारों ओर पाए जाने वाली चीजें, लोग और प्रकृति मिलकर पर्यावरण बनाते हैं। पर्यावरण के तीन मुख्य घटक होते हैं: प्राकृतिक पर्यावरण, मानव निर्मित पर्यावरण और मानव पर्यावरण।
प्राकृतिक पर्यावरण: जैसा कि नाम से स्पष्ट है, प्राकृतिक पर्यावरण में मौजूद हर चीज प्राकृतिक होती है। यानि उन चीजों में मानव द्वारा कोई बदलाव नहीं किया गया है। नदियाँ, पर्वत, हवा, रेगिस्तान, आदि प्राकृतिक पर्यावरण के अंग हैं। प्राकृतिक पर्यावरण में दो प्रकार की स्थितियाँ पाई जाती हैं: जीवीय और अजीवीय।
प्राकृतिक पर्यावरण के मुख्य घटक हैं: स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल।
स्थलमंडल: पृथ्वी की सतह की सबसे ऊपरी परत को स्थलमंडल कहते हैं। पर्वत, पहाड़, मैदान, पठार और समुद्र तल स्थलमंडल के भाग होते हैं। स्थलमंडल हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खेतीबारी, मकान और दैनिक कामों के लिए हम स्थलमंडल का ही इस्तेमाल करते हैं।
जलमंडल: पृथ्वी पर उपस्थित जल से जलमंडल बनता है। जलमंडल का अधिकाँश हिस्सा समुद्र में पाया जाता है।
वायुमंडल: पृथ्वी के चारों ओर हवा के आवरण को वायुमंडल कहते हैं। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण वायुमंडल हमारी पृथ्वी से चिपका रहता है।
जैवमंडल: स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल का वह संधिस्थल जहाँ पर सजीव रहते हैं, जैवमंडल कहलाता है। स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के कुल क्षेत्र का एक बहुत ही छोटे हिस्से में जैवमंडल होता है।
पारितंत्र: जीवधारियों का आपस में और उनके आस पास के पर्यावरण के बीच एक परस्पर संबंध होता है। इस पारस्परिक संबंध से बने तंत्र को पारितंत्र कहते हैं। पारितंत्र के घटक एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए, मनुष्य अपनी सभी जरूरतों के लिए अपने पर्यावरण पर निर्भर रहते हैं। वहीं पर्यावरण का स्वास्थ्य मनुष्यों पर भी निर्भर रहता है। हमारे कुछ गलत कामों के कारण प्रदूषण बढ़ता है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है।
मनुष्य ने अपनी जरूरत के अनुसार अपने पर्यावरण में कई बदलाव किए हैं। मानव निर्मित पर्यावरण में हर वह वस्तु शामिल होती है जिसका निर्माण इंसानों ने किया है। हमारे शहर के मकान, भवन, हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन, मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, अस्पताल, आदि मानव निर्मित पर्यावरण के अंग हैं।
मानव पर्यावरण के तहत हमारा परिवार, समाज, शिक्षा व्यवस्था, धर्म, राजनीति और आर्थिक गतिविधियों को रखा जाता है।
जब आधुनिक मानव का विकास हुआ था तो मानव पर्यावरण बड़ा ही सरल था। लोग अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति पर निर्भर करते थे। धीरे धीरे आदमी ने खेती बारी शुरु की और फिर गाँव बसने लगे। फिर जरूरत से अधिक अन्न का उत्पादन होने लगा। लोगों की जरूरतें बढ़ने लगीं और वस्तु-विनिमय प्रणाली का विकास हुआ।
औद्योगिक क्रांति के बाद उत्पादन तेजी से बढ़ा। यातायात के साधन पहले से अधिक तेज हो गये तो पूरी दुनिया के लोगों का आपसी संपर्क बढ़ गया। बीसवीं और इक्कीसवीं सदी में संचार के साधन उन्नत हो गए। इससे संचार तेजी से होने लगा तो मानव पर्यावरण और भी जटिल हो गया।
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