7 भूगोल

हमारी बदलती पृथ्वी

धरती की पर्पटी यानी ऊपरी सतह कई विशाल प्लेटों से मिलकर बनी है। इन प्लेटों को स्थलमंडलीय प्लेट या टेक्टॉनिक प्लेट कहते हैं। स्थलमंडलीय प्लेटें बहुत ही धीमी गति से इधर उधर घूमती रहती हैं। इनकी गति इतनी धीमी होती है कि एक वर्ष में ये कुछेक मिलीमीटर चल पाती हैं।

पृथ्वी के अंदर पिघले हुए मैग्मा में होने वाली गति के कारण इन प्लेटों में गति होती है। जैसे उबलती कढ़ी में पकौड़े इधर उधर चलते हैं। पिघला हुआ मैग्मा वृत्ताकार गति करता है।

स्थलमंडलीय प्लेटों के कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं।

पृथ्वी की गतियाँ

पृथ्वी की गतियाँ
अंतर्जनित बलबहिर्जनित बल
आकस्मिक बलपटल विरूपण बलअपरदन और निक्षेपण
भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलनपर्वत निर्माणकारी बलनदी/बहता जल, पवन, समुद्री तरंग, हिमनद

पृथ्वी की गतियाँ दो तरह के बल कारण होती हैं: अंतर्जनित बल और बहिर्जनित बल।

अंतर्जनित बल

पृथ्वी के भीतर पैदा होने वाले बल को अंतर्जनित बल कहते हैं। अंतर्जनित बल दो प्रकार के होते हैं: आकस्मिक बल और पटल विरूपण बल।

  1. आकस्मिक बल: इस प्रकार के बल से अचानक गति पैदा होती है। भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन, आकस्मिक बल के उदाहरण हैं। आकस्मिक बल से भयानक नुकसान होता है।
  2. पटल विरूपण बल: इस बल के कारण धीमी गति उत्पन्न होती है। इस बल से पृथ्वी की पर्पटी का रूप बदल जाता है। मोड़दार पर्वत इसी बल के कारण बनते हैं।

बहिर्जनित बल

पृथ्वी के बाहर पैदा होने वाले बल को बहिर्जनित बल कहते हैं। इस बल के कारण अपरदन और निक्षेपण होता है। पवन, जल और हिम के बहाव से चट्टानों का अपरदन होता है। फिर इन्हीं कारकों के द्वारा अपरदित पदार्थों का निक्षेपण होता है।

ज्वालामुखी

Jwalamukhi

पृथ्वी की पर्पटी पर एक खुला छेद जिससे होकर पिघले हुए पदार्थ अचानक से निकलते हैं, को ज्वालामुखी कहते हैं।

भूकंप

Bhookamp

जब स्थलीय प्लेटों में गति होती है तो सतह पर कंपन पैदा होती है, जिसे भूकंप कहते हैं। यह कंपन चारों ओर फैल जाती है। पृथ्वी में जिस जगह से भूकंप की शुरुआत होती है उसे भूकंप का उद्गम या फोकस कहते हैं। उद्गम के ठीक ऊपर सतह पर के स्थान को भूकंप का अभिकेंद्र या एपिसेंटर कहते हैं। अभिकेंद्र से कंपन, तरंग के रूप में चारों ओर फैलता है। अभिकेंद्र से दूर होने पर भूकंप की शक्ति कम होती जाती है। इसलिए, अभिकेंद्र के आस पास के इलाकों में सबसे अधिक नुकसान होता है।

भूकंप की तरंगें तीन प्रकार की होती हैं:

  1. P तरंग या अनुदैर्घ्य तरंग
  2. S तरंग या अनुप्रस्थ तरंग
  3. L तरंग या पृष्ठीय तरंग

भूकंप के लिए तैयारी

भूकंप की भविष्यवाणी करना असंभव है। लेकिन यदि पहले से कुछ तैयारी की जाए तो भूकंप से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। भूकंप आने की स्थिति में नीचे दी गई बातों का पालन करना चाहिए।