7 इतिहास

नगर, मंदिर, शिल्पीजन

नये शहर

सोलहवीं और सत्रहवीं सदी में पश्चिमी एशिया और यूरोप में मसालों और कपड़े की बढ़ती मांग के कारण यूरोपीय देश इन चीजों के स्रोतों की ओर ध्यान देने लगे थे। पूर्व के देशों में व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से अंग्रेजी, डच और फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनियाँ बनीं थीं।

लेकिन उस जमाने में भारत के बड़े व्यापारी, जैसे मुल्ला अब्दुल गफूर और वीरजी वोरा से यूरोपी कम्पनियों को कड़ी टक्कर मिल रही थी।

अपनी बेहतर नौसैनिक शक्ति के कारण यूरोपीय कम्पनियों ने समुद्री व्यापार पर कब्जा कर लिया और भारतीय व्यापारियों को अपने एजेंट के रूप में काम करने को मजबूर कर दिया। समय बीतने के साथ, भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेज सबसे सफल व्यावसायिक और राजनैतिक शक्ति बनकर उभरे।

कपड़े की बढ़ती माँग के कारण बुनाई, कताई, रंगाई, आदि के कामों में तेजी आ गई। भारत में बनने वाले कपड़ों के डिजाइन में काफी सुधार हुआ।

यूरोप का प्रभाव

यूरोप की कम्पनियों के आ जाने से कई बातें बदलने लगीं। शिल्पकारों की स्वतंत्रता कम होने लगी। वे अब पेशगी यानि एडवांस के सिस्टम पर काम करने लगे। एक बार किसी से पेशगी ले लेने के बाद बुनकरों या अन्य शिल्पकारों को उसी यूरोपीय एजेंट के लिए काम करने को बाध्य होना पड़ता था। डिजाइन भी उसी एजेंट के मुताबिक बनता था। अब शिल्पकार अपने मनपसंद डिजाइन नहीं बना सकता था और अपने मन मुताबिक किसी को भी अपना माल नहीं दे सकता था।

अठारहवीं सदी का हाल

इस दौरान बम्बई, कलकत्ता और मद्रास महत्वपूर्ण शहर बन गए। यूरोपीय कम्पनियों ने इन शहरों में भारत के व्यापारियों और शिल्पकारों के लिए ब्लैक टाउन बसाये। श्वेत लोग सेंट जॉर्ज (मद्रास) और फोर्ट सेंट विलियम (कलकत्ता) जैसे आलीशान रिहायशी इलाकों में रहते थे। नये शहरों का उदय होने से व्यापार और शिल्प में कई अहम बदलाव हुए।

यूरोपीय नाविक

पंद्रहवीं सदी में यूरोप के नाविकों ने समुद्री मार्गों की खोज के लिए कई साहसिक यात्राएँ कीं। उनका मुख्य उद्देश्य था भारतीय उपमहाद्वीप पहुँचने का सबसे सही रास्ता खोजना ताकि मसाले आसानी से मिल सकें।

क्रिस्टोफर कोलम्बस

इटली का निवासी, कोलम्बस अतलांतिक महासागर में पश्चिम की ओर चल पड़ा ताकि भारत तक पहुँचने का मार्ग ढ़ूँढ सके। उसे पता था कि धरती गोल है, इसलिए वह पश्चिम की ओर चला। 1492 में भारत पहुँचने की बजाय, कोलम्बस वेस्ट इंडीज पहुँच गया। उसके नक्शेकदम पर स्पेन और पुर्तगाल के नाविक गए और उन्होंने केंद्रीय और दक्षिणी अमेरिका के विशाल हिस्से पर कब्जा जमा लिया। ऐसा करने के क्रम में उन्होंने वहाँ के मूल निवासियों को खदेड़ कर भगा दिया।