6 नागरिक शास्त्र

पंचायती राज

आप क्या सीखेंगे

पंचायती राज: लोकतांत्रिक सरकार का सबसे निचला स्तर पंचायत होता है। ‘पंचायत’ शब्द का अर्थ है लोगों की सभा। भारतीय उपमहाद्वीप में पंचायत की बहुत पुरानी परंपरा रही है। आधुनिक भारत में सरकार ने कई कामों का अधिकार पंचायत को दे दिया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सबसे निचले स्तर के लोगों को भी सरकार चलाने में भागीदारी मिल सके।

पंचायती राज के तीन स्तर

पंचायती राज के तीन स्तर निम्नलिखित हैं:

  1. ग्राम पंचायत या ग्राम स्तर का पंचायत
  2. पंचायत समिति या जनपद पंचायत या प्रखंड (ब्लॉक) स्तर का पंचायत
  3. जिला परिषद या जिला स्तर का पंचायत

ग्राम पंचायत

ग्राम पंचायत का गठन चुने हुए सदस्यों द्वारा होता है। एक ग्राम पंचायत के सदस्य कई गांवों से या केवल एक गांव से चुनकर आते हैं। ग्राम पंचायत का कार्यकाल पाँच साल का होता है। हर पाँच साल पर चुनाव होते हैं।

पंच या वार्ड सदस्य: एक ग्राम पंचायत को कई वार्ड में बाँटा जाता है। हर वार्ड से एक सदस्य चुनकर आता है। ऐसे सदस्य को पंच या वार्ड सदस्य कहते हैं। एक पंच को अपने निर्वाचन क्षेत्र के हितों की देखभाल करनी होती है।

सरपंच: सभी पंच मिलकर एक नेता को चुनते हैं। यह नेता सरपंच या पंचायत प्रधान कहलाता है। ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता सरपंच करता है।

ग्राम सभा का सचिव: ग्राम सभा का सचिव चुनकर नहीं आता है। उसे सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। सचिव का काम है ग्राम सभा की बैठक बुलाना और बैठक का रिकॉर्ड रखना।

ग्राम सभा: ग्राम पंचायत के सभी वयस्कों की बैठक को ग्राम सभा कहते हैं। ग्राम पंचायत का हर वह व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक है ग्राम सभा में शामिल हो सकता है।

ग्राम पंचाय के कार्य

  1. जन सुविधाओं का निर्माण और रख रखाव: ग्राम पंचायत का काम है जल का स्रोत, सड़कें, नालियाँ, स्कूल और अन्य जन सुविधाओं का निर्माण करवाना। ये सुविधाएँ किसी भी गांव के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
  2. स्थानीय कर निर्धारण और वसूली: ग्राम पंचायत कुछ स्थानीय कर भी वसूलती है। उदाहरण के लिए स्थानीय बाजार या हाट से ग्राम पंचायत कर वसूलती है।
  3. सरकारी योजनाओं का कार्यांवयन: गांव में रोजगार उत्पन्न करने के लिए सरकार कई योजनाएँ चलाती है। ऐसी योजनाओं के लिए आने वाली राशि सरकारी मशीनरी से होकर आती है। ग्राम पंचायत का काम है ऐसी योजनाओं को सही से अमल करवाना। मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी) ऐसी ही एक योजना का उदाहरण है।

पंचायत की आमदनी के स्रोत

  1. मकानों और बाजार से टैक्स
  2. जिला पंचायत द्वारा सरकारी योजनाओं के लिए मिलने वाली राशि
  3. सामुदायिक कार्यों के लिए मिलने वाला दान

ग्राम सभा के कार्य: ग्राम सभा का काम है ग्राम पंचायत के कार्यों की निगरानी करना। ग्राम सभा की बैठक के दौरान किसी को भी किसी भी गड़बड़ी के बारे में प्रश्न पूछने का अधिकार है। उदाहरण के लिए, गरीबी रेखा के नीचे (बी पी एल) की लिस्ट बनाते समय हो सकता है कि सरपंच किसी धनी व्यक्ति का नाम डाल दे या किसी गरीब का नाम हटा दे। हो सकता है कि हैंड पंप लगाने के लिए मिली राशि का गलत उपयोग हुआ हो।

पंचायत समिति

यह तहसील या तालुका या ब्लॉक स्तर की स्थानीय सरकार है। किसी भी तहसील के अंदर आने वाले हर गांव मिलकर पंचायत समिति का निर्माण करते हैं। पंचायत समिति का काम है ग्राम पंचायत और जिला परिषद के बीच कड़ी का काम करना।

पंचायत समिति का गठन: पंचायत समिति में चुने हुए सदस्य, प्रखंड विकास पदाधिकारी, कुछ अपूर्व दृष्ट सदस्य और कुछ सह सदस्य होते हैं। अपूर्व दृष्ट सदस्यों में उस क्षेत्र के सारे सरपंच, सांसद, विधायक और एस डी ओ (सब डिविजनल ऑफिसर) हो सकते हैं। सह सदस्यों में महिलाओं तथा अनुसूचित जाति जनजाति के प्रतिनिधि, कोई बड़ा किसान और सहकारी समिति के सदस्य हो सकते हैं। पंचायत समिति का गठन पाँच साल के लिए होता। इसकी अध्यक्षता के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होते हैं।

जिला परिषद

पंचायती राज के शीर्ष पर जिला परिषद आता है। इसकी अध्यक्षता भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइ ए एस) का अधिकारी करता है। इसका काम है उस जिले में पड़ने वाले हर पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के कामों की निगरानी करना। जिले के लिए कई लोक कल्याण काम करवाने का जिम्मा भी जिला परिषद पर होता है।

ग्राम पंचायत का महत्व

ग्राम पंचायत के द्वारा लोगों के हाथों में सत्ता पहुँचती है। ऐसा माना जाता है कि स्थानीय समस्याओं और जरूरतों की सबसे अच्छी समझ जनता के पास होती है। अब हर समस्या के निबटारे के लिए प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री तो नहीं आ सकते। इसलिए अपनी स्थानीय समस्याओं को सुलझाने के लिए लोगों को कुछ शक्ति मिलनी ही चाहिए।