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संसाधन और विकास

संसाधन: हर वह वस्तु जिसका उपयोग हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जा सकता है, संसाधन कहलाती है। कुछ संसाधनों का आर्थिक मूल्य होता है जबकि कुछ का कोई आर्थिक मूल्य नहीं होता है। जैसे, पेट्रोल का आर्थिक मूल्य है, लेकिन किसी वादी की खूबसूरती का कोई आर्थिक मूल्य नहीं है। लेकिन दोनों ही हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, इसलिए दोनों ही संसाधन हैं।

किसी भी पदार्थ को संसाधन में बदलने में समय और टेक्नॉलोजी की मुख्य भूमिका होती है। जब लोग पेट्रोलियम के इस्तेमाल के बारे में नहीं जानते थे तब यह संसाधन नहीं था। जैसे ही आदमी ने पेट्रोलियम के इस्तेमाल के तरीके इजाद किये, यह एक संसाधन बन गया।

संसाधनों के प्रकार

संसाधन तीन प्रकार के होते हैं, प्राकृतिक, मानव-निर्मित और मानव संसाधन।

प्राकृतिक संसाधन

प्रकृति से मिलने वाले संसाधन को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। कुछ प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल सीधे तौर पर होता है। कुछ अन्य संसाधनों के इस्तेमाल के लिए किसी न किसी टेक्नॉलोजी का सहारा लेना पड़ता है। जैसे, हवा या पानी का इस्तेमाल हम सीधे सीधे करते हैं। लोहे को इस्तेमाल लायक बनाने के लिए हमें लौह अयस्क को में बदलाव लाना होता है।

प्राकृतिक संसाधनों को दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा जाता है, नवीकरणीय और अनीवकरणीय।

नवीकरणीय संसाधन: कुछ संसाधन तेजी से नवीकृत होते हैं, इसलिए उनका भंडार कभी खत्म नहीं हो सकता। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पानी, आदि नवीकरणीय संसाधन के उदाहरण हैं। लेकिन यदि हम इनमें से कुछ संसाधनों का इस्तेमाल सावधानी से नहीं करते हैं तो उनकी किल्लत की समस्या हो सकती है। मिट्टी का सही ढ़ंग से इस्तेमाल नहीं करने से मृदा अपरदन की समस्या खड़ी हो जाती है। पानी का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करने के कारण आज अधिकाँश शहरों और गाँवों में पीने के पानी की किल्लत हो रही है।

अनवीकरणीय संसाधन: कुछ संसाधनों के नवीकरण में हजारों या लाखों वर्ष लगते हैं। ऐसे संसाधनों का इस्तेमाल यदि बड़े पैमाने पर होता है तो इनका भंडार तेजी से समाप्त हो जाता है। कोयला और पेट्रोलियम अनीवकरणीय संसाधन हैं। कोयला और पेट्रोलियम के बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। जितनी तेजी से हम इनका इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे जल्दी ही इनका भंडार समाप्त हो जाएगा।

मानव-निर्मित संसाधन

जब इंसान द्वारा किसी संसाधन में बड़े बदलाव लाए जाते हैं तो उसे मानव-निर्मित संसाधन कहए हैं। लौह अयस्क को कई प्रक्रियाओं से गुजारने के बाद स्टील बनता है। इसलिए स्टील एक मानव-निर्मित संसाधन हैं। भवन, पुल, रेलवे, मशीन, आदि मानव-निर्मित संसाधन के उदाहरण हैं। टेक्नॉलोजी भी एक मानव-निर्मित संसाधन हैं।

मानव संसाधन

आदमी के दखल के बिना किसी भी संसाधन को उपयोगी नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए लोगों को मानव संसाधन कहा जाता है। मानव संसाधन को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य पर बल देने की जरूरत होती है। जब तक लोगों को सही प्रशिक्षण नहीं मिलता है तब तक संसाधनों का उचित और भरपूर इस्तेमाल नहीं हो सकता।

संसाधन संरक्षण

संसाधनों का सावधानी से इस्तेमाल करना और उन्हें नवीकरण के लिए पर्याप्त समय देना संसाधन संरक्षण कहलाता है। सततपोषणीय विकास की नीति अपनाने से ही संसाधनों का संरक्षण संभव है। हम जानते हैं कि अधिकतर संसाधन सीमित मात्रा में हैं। इसलिए उनका इस्तेमाल इस तरह से करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वैसे संसाधन उपलब्ध रहें। यही सततपोषणीय विकास की नीति है। हवा और पानी जैसे नवीकरणीय संसाधनों का भी विवेकपूर्ण इस्तेमाल की जरूरत है। यदि हवा प्रदूषित हो जाती है तो उसमें सांस लेना भी कठिन हो जाता है। पानी का बहुत अधिक दोहन और बरबादी करने के कारण आज हर जगह पीने के पानी की किल्लत हो रही है। संसाधनों के संरक्षण के लिए हमें ये बातें सुनिश्चित करनी चाहिए।