6 नागरिक शास्त्र

विविधता की समझ

आप क्या सीखेंगे:

स्थानीय लोग इनमें से कुछ बातों का समावेश अपने जीवन में कर लेते थे। इस तरह से लोग नये तरह के भोजन और पोशाक का इस्तेमाल करने लगे। कई लोगों ने नये धर्म को भी अपना लिया। नीचे लद्दाख और केरल के उदाहरण दिये गये हैं, जिनसे इस बात का पता चलता है।

लद्दाख

लद्दाख ठंडा मरुस्थल है जो कश्मीर के पूर्वी भाग में स्थित है। यहाँ पर साल के अधिकांश दिनों में बर्फ छाई रहती है, इसलिए यहाँ नाममात्र की खेती होती है। लोगों का मुख्य पेशा है भेड़, बकरियाँ और याक पालना। इन जानवरों के दूध और मांस से ये लोग अपना काम चलाते हैं। इन जानवरों के बालों से ये लोग ऊन बनाते हैं और बेचते हैं। लद्दाख के लोद पश्मीना शाल बनाते हैं और उन्हें कश्मीर के व्यापारियों को बेच देते हैं।

प्राचीन काल से ही लद्दाख महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग पर रहा है। इसलिए दुनिया के अलग-अलग कोनों से यात्री यहाँ आते रहे हैं। इन लोगों का लद्दाख के लोगों से संपर्क हुआ। इसलिए इस क्षेत्र में इस्लाम धर्म सैंकड़ों साल पहले आ गया। आज भी इस क्षेत्र में मुसलमानों की अच्छी खासी आबादी है। इस क्षेत्र में बुद्ध धर्म के अनुयायियों की भी अच्छी संख्या है।

केरल

भारत के दक्षिणी छोर पर केरल स्थित है। प्राचीन काल से ही केरल व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है। व्यापारी यहाँ मसाले का व्यापार करने आते थे। इन्हीं व्यापारियों के कारण केरल में लगभग 2000 वर्ष पहले इसाई धर्म आया। इसी प्रकार, अरब के व्यापारियों के कारण यहाँ इस्लाम धर्म आया। यूरोप और भारत के बीच समुद्री मार्ग ढ़ूंढ़ने वाला पहला व्यक्ति एक पुर्तगाली था जिसका नाम था वास्को डा गामा। उसका जहाज केरल में ही आया था। उसके बाद भारत में यूरोपीय संस्कृति आई। केरल में कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं; जैसे यहूदी, इसाई, इस्लाम, हिंदू और बौद्ध।

केरल के तटीय इलाकों में जो मछली का जाल इस्तेमाल होता है वह चीन के जाल जैसा दिखता है। इसे केरल में चीन-वला कहते हैं। तलने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले एक बरतन का नाम है चीनाचट्टी। इन चीजों से पता चलता है कि केरल और चीन के बीच बहुत ही पुराना संपर्क रहा है।

भारत में विविधता

भारत विविधताओं से भरा देश है। भारत में लगभग हर मुख्य धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। अलग अलग धर्म को मानने वाले कई मायनों में एक दूसरे से अलग होते हैं; जैसे रीति रिवाज, त्योहार, मान्यताएँ, खान-पान और पारंपरिक परिधान। इतनी अधिक विविधता के कारण हमारा देश सांस्कृतिक भिन्नताओं का धनी है।

विविधता में एकता

जवाहरलाल नेहरु ने सबसे पहले ‘अनेकता में एकता’ का इस्तेमाल किया था। नेहरु ने इन शब्दों का इस्तेमाल इसलिए किया था क्यों विविधता ही हमारे देश की शक्ति साबित हुई थी। जब अंग्रेज यहाँ आये थे तो उन्हें लगता था कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश पर शासन करना आसान होगा। उन्होंने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति भी अपनाई। लेकिन भारत के अधिकांश लोगों ने अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों को भुलाकर अंग्रेजों से लोहा लिया। अनेकता में एकता के कारण ही हमलोग अंग्रेजी राज को यहाँ से उखाड़ने में सफल हुए।

आज भी हम कई संस्कृतियों का समावेश करते रहते हैं। हम दुनिया के भिन्न-भिन्न व्यंजनों को अपना रहे हैं। हम दुनिया के अलग-अलग भागों की पोशाकों को अपना रहे हैं। विविधता के कारण ही आज का भारत एक जिंदादिल देश है।