6 भूगोल

पृथ्वी के प्रमुख परिमंडल

आप क्या सीखेंगे:

जलमंडल

percentage of water on earth

पृथ्वी की सतह का 71% से अधिक हिस्सा पानी से ढ़का हुआ है। लेकिन पृथ्वी पर उपलब्ध पानी का 97% भाग खारे पानी के रूप में सागरों और महासागरों में है। खारा पानी मनुष्य के उपभोग के लिये ठीक नहीं है। बचे हुए 3% पानी में से अधिकांश भाग बर्फ के रूप में ग्लेशियर और आइसबर्ग में है। इसके बाद पृथ्वी पर उपलब्ध पूरे पानी का 1% से भी कम हिस्सा मनुष्य के उपभोग के लिये बचता है। इसलिए ‘नीले ग्रह’ पर रहने के बावजूद हमें पानी की कमी की समस्या से जूझना पड़ता है।

महासागर

सभी महासागर आपस में जुड़े हुए हैं और महासागरों का जल हमेशा गति में रहता है। महासागर के जल की तीन मुख्य गतियाँ हैं: तरंग, ज्वार-भाटा और महासागरीय जलधारा। दुनिया में पाँच मुख्य महासागर है: प्रशांत, अटलांटिक, हिंद, आर्कटिक और दक्षिणी महासागर।

प्रशांत महासागर

यह दुनिया का सबसे बड़ा महासागर है। यह लगभग वृत्ताकार है। एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका मिलकर प्रशांत महासागर को चारों ओर से घेरे हुए हैं। दुनिया का सबसे गहरा स्थान (मैरियाना ट्रेंच) इसी महासागर में है।

अटलांटिक महासागर

यह दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। इसका आकार अंग्रेजी S अक्षर की तरह है। इस महासागर के पश्चिम में उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका हैं, तथा पूर्व में यूरोप और अफ्रिका हैं। अटलांटिक महासागर की तटरेखा अत्यंत दंतुरित है। दंतुरित तटरेखा होने के कारण इस महासागर के तटों पर कई प्राकृतिक पोताश्रय और पत्तन हैं। इसलिये व्यावसायिक दृष्टिकोण से यह सबसे व्यस्त महासागर है।

हिंद महासागर

हिंद महासागर इकलौता महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर पड़ा है। यह महासागर त्रिभुज के आकार का है। इस महासागर के पश्चिम में अफ्रिका, उत्तर में एशिया और पूर्व में ऑस्ट्रेलिया है।

दक्षिणी महासागर

यह महासागर अंटार्कटिका के चारों ओर है। यह उत्तर की ओर 60° दक्षिणी अक्षांश तक फैला है।

आर्कटिक महासागर

यह महासागर आर्कटिक वृत्त के अंदर स्थित है और उत्तरी ध्रुव के चारों ओर है। यह उत्तरी अमेरिका और यूरेशिया के उत्तरी तटों तक फैला है। आर्कटिक महासागर और प्रशांत महासागर के बीच संधि का काम करने वाला एक छिछले जल वाला संकरा मार्ग है जिसे बेरिंग जलसंधि के नाम से जाना जाता है।

वायुमंडल

पृथ्वी के पर्यावरण में वायुमंडल की अहम भूमिका होती है। वायुमंडल हवा से बना है जो कई गैसों, जलवाष्प और धूलकणों से मिलकर बनी है।

हवा का संघटन: हवा मुख्य रूप से नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बनी हुई है। हवा में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन है। शेष 1% हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड आर्गन और कई अन्य गैसों से बना है।

नाइट्रोजन की भूमिका: पौधों के लिये नाइट्रोजन बहुत महत्वपूर्न है क्योंकि पौधों को कई अणु बनाने के लिए नाइट्रोजन की जरूरत होती है। चूँकि हमें पौधों से ही भोजन मिलता है इसलिए नाइट्रोजन हमारे लिए और अन्य जंतुओं के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

ऑक्सीजन की भूमिका: सजीवों को श्वसन के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसके अलावा, किसी भी चीज का दहन करने के लिए ऑक्सीजन अनिवार्य है।

कार्बन डाइऑकसाइड की भूमिका: पौधे कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग प्रकाश संश्लेषण के लिए करते हैं। आपको पता होगा कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा पौधे भोजन बनाते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड सूर्य की उष्मा को पकड़ कर रखता है और इस उष्मा को हमारे वायुमंडल से बाहर नहीं जाने देता है। इस तरह से कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी पर समुचित तापमान बनाये रखने में मदद करता है।

वायुमंडल की परतें: वायुमंडल को कई परतों में विभाजित किया जा सकता है। नीचे से ऊपर की ओर इन परतों के नाम हैं: क्षोभमंडल (ट्रॉपोस्फेयर), समतापमंडल (स्ट्रैटोस्फेयर), मध्यमंडल (मेसोस्फेयर), आयनमंडल (आयोनोस्फेयर) तथा बहिर्मंडल (एक्सोस्फेयर)।

ऊँचाई बदलने के साथ वायुमंडल का घनत्व भी बदलता है। समुद्रतल पर हवा का घनत्व सबसे अधिक होता है और जैसे जैसे हम ऊपर जाते हैं हवा का घनत्व घटता जाता है। सामान्य दाब में हम आसानी से सांस लेते हैं। लेकिन जब हवा का दबाव कम हो जाता है तो हमें सांस लेने में कठिनाई होती है। ऊँचे पहाड़ों पर हवा का दबाव बहुत कम रहता है। इसलिए पर्वतारोहियों को अपने साथ ऑक्सीजन के सिलिंडर ले जाने पड़ते हैं ताकि वे आसानी से सांस ले सकें।

हवा की गति में दबाव की अहम भूमिका होती है। हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब की ओर गति करती है। गतिशील हवा को पवन कहते हैं।

जीवमंडल

भूमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के बीच के सीमित भाग (जहाँ जीवन मौजूद है) को जीवमंडल कहते हैं। इस पृथ्वी पर नाना प्रकार के जीव पाये जाते हैं। सभी जीव अपनी उत्तरजीविता के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। ये अपनी उत्तरजीविता के लिए कई अजीव वस्तुओं पर भी निर्भर रहते हैं।

जीवमंडल के जीवों को मोटे तौर पर दो समूहों में बाँटा जा सकता है: पादप किंगडम और जंतु किंगड। पृथ्वी के तीनों मंडल एक दूसरे के साथ क्रिया करते रहते हैं। ये किसी न किसी तरह से एक दूसरे को प्रभावित भी करते हैं।

पर्यावरण की सुरक्षा

हमें अपने पर्यावरण की अच्छी देखभाल करनी चाहिए, अन्यथा हमारे ग्रह पर जीवन खतरे में पड़ जायेगा। उदाहरण के लिए यदि मानव गतिविधियों की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर जंगल साफ कर देंगे तो इससे मृदा अपरदन होगा। हम जानते हैं कृषि और पादपों की वृद्धि के लिए मृदा कितनी महत्वपूर्ण है। इससे यह स्पष्ट है कि मृदा अपरदन से दूरगामी नुकसान हो सकते हैं। हम अत्यधिक कचरा उत्पन्न करते हैं जो पर्यावरण को प्रदूषित करता है।

पृथ्वी पर समुचित तापमान बनाये रखने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड अनिवार्य है। लेकिन अगर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा एक नियत सीमा से अधिक हो जायेगी तो पूरी दुनिया में तापमान बढ़ जायेगा। इसे ग्लोबल वार्मिंग का नाम दिया गया है। वाहनों और कारखानों में जीवाश्म ईंधन के जलने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑकसाइड का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए ईंधन का इस्तेमाल करते वक्त हमें सचेत होने की जरूरत है।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह भी जरूरी है कि हम अपने संसाधनों का इस्तेमाल सही तरीके से करें।