6 भूगोल

पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप

पठार

पठार एक ऊँचा और समतल भूभाग होता है। पठार की ऊँचाई अपने आसपास के क्षेत्र से अधिक होती है। एक पठार में एक या अधिक दिशा में तीखी ढ़ाल हो सकती है। पठार नया या पुराना हो सकता है। पठार की ऊँचाई कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक होती है। उदाहरण: भारत में स्थित दक्कन का पठार दुनिया के प्राचीनतम पठारों में से एक है। पठार के अन्य उदाहरण हैं: पूर्वी अफ्रिकी पठार (केन्या, तंजानिया और उगांडा), ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी पठार। तिब्बत का पठार दुनिया का सबसे ऊँचा पठार है और इसकी ऊँचाई 4,000 से 6,000 मीटर है।

पठार का महत्व:

पठार में प्रचुर खनिज संपदा होती है। दुनिया की अधिकतर खानें पठारी क्षेत्रों में स्थित हैं। भारत के अधिकतर खनन इलाके छोटानागपुर पठार में स्थित हैं, जो झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ राज्यों में आता है। अफ्रिकी पठार अपनी सोने और हीरे की खानों के लिए मशहूर है। पठारी क्षेत्रों में कई जलप्रपात होते हैं। उदाहरण: हुंडरू जलप्रपात (छोटानागपुर) और जोंग जलप्रपात (कर्णाटक)। पठारी क्षेत्रों में काली मृदा पाई जाती जो कृषि के लिए उपयुक्त होती है । पठारी क्षेत्रों में कई पर्यटन स्थल होते हैं।

मैदान

मैदान एक समतल भूभाग होता है जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 200 मीटर से अधिक नहीं होती है। कुछ मैदान बिलकुल समतल होते हैं जबकि कुछ मैदानों में थोड़े बहुत उतार चढ़ाव होते हैं।

मैदान का निर्माण: मैदानों का निर्माण अक्सर नदियों और उनकी सहायक नदियों द्वारा होता है। जब कोई नदी पहाड़ों से उतरती है तो यह पहाड़ का अपरदन करते हुए आती है। नदी अपने साथ अपरदन के मलवे को लाती है और इसे घाटी में जमा कर देती है। मलवे के जमाव के कारण मैदान का निर्माण होता है।

मैदान का महत्व:

मैदान अत्यधिक उपजाऊ होते हैं और कृषि के लिए सबसे उत्तम होते हैं। मैदानों में घर बनाना या सड़कें बिछाना या रेल लाइन बिछाना बहुत आसान होता है। इसलिए मानव निवास के लिए मैदान सबसे अधिक अनुकूल होते हैं। दुनिया के अधिकतम घनी आबादी वाले क्षेत्र मैदानी भागों में स्थित हैं। सिंधु-गंगा का मैदान दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में गिना जाता है।

स्थलरूप और लोग

आदमी लगभग हर प्रकार के भूभाग पर रहते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में जीवन कठिन है, इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में विरल आबादी होती है। पठारों का जीवन कुछ आसान होता है, लेकिन मैदानों का जीवन बहुत ही आसान होता है। इसलिए मैदानों की आबादी सघन होती है। हर तरह के भूभाग में प्राकृतिक विपदाओं का संकट बना रहता है। भूकंप, तूफान और बाढ़ किसी भी क्षेत्र में आ सकते हैं। ज्वालामुखीय क्षेत्रों में ज्वालामुखी के फटने का खतरा रहता है। लेकिन लोगों को प्राकृतिक विपदाओं के साथ रहना सीखना पड़ता है। यदि सही सावधानियाँ बरती जाएं तो प्राकृतिक विपदाओं से जान माल की रक्षा की जा सकती है।