7 विज्ञान

पवन, तूफान और चक्रवात

तड़ित झंझा और चक्रवात

भारतीय उपमहाद्वीप उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पड़ता है। इसलिए यहाँ की गर्म और नम जलवायु में अक्सर तड़ित झंझा (थंडरस्टॉर्म) आती है। जब गर्म पवन ऊपर उठती है तो अपने साथ पानी की बूँदों को भी ऊपर ले जाती है। अधिक ऊँचाई पर पहुँचकर पानी की बूँदें संघनन के कारण बर्फ बन जाती हैं। बर्फ बनने के कारण पानी की बूँदें तेजी से नीचे गिरती है। ऐसे में ऊपर उठती पवन और नीचे गिरती बूँदों के बीच घर्षण होता है। घर्षण की वजह से बिजली (तड़ित) चमकती है और तेज आवाज होती है। इस घटना को तड़ित झंझा (थंडरस्टॉर्म) कहते हैं।

तड़ित झंझा के समय सावधानियाँ

तड़ित झंझा से चक्रवात का बनना

आपने पढ़ा होगा कि जल जब ऊष्मा अवशोषित करता है तो वाष्प में बदल जाता है। इसलिए यह भी सच है कि वाष्प जब संघनित होकर जल में बदलता है तो वाष्प में से ऊष्मा बाहर निकलती है।

वाष्प के संघनन के फलस्वरूप निकलने वाली ऊष्मा से आसपास की हवा गर्म हो जाती है और फिर हवा ऊपर उठने लगती है। इससे आस पास निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है। निम्न दाब के इस क्षेत्र को भरने के लिए आस पास से ठंडी पवन तेज गति से निम्न दाब के केंद्र की ओर बढ़ती हैं।

Formation of Cyclone

यह चक्र कई बार होता है जिससे बहुत ही निम्न दाब का एक सिस्टम बन जाता है जिसके चारों ओर तेज गति से पवन घूमती है। यह पवन कई परतों में कुंडली के रूप में घूमती है यानि गोल गोल घूमती है। मौसम की इस स्थिति को चक्रवात कहते हैं।

कम दाब के एक शक्तिशाली केंद्र के चारों ओर घूमने वाली पवन की एक विशाल राशि को चक्रवात कहते हैं। उत्तरी गोलार्ध में चक्रवात की दिशा घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में होती है। दक्षिणी गोलार्ध में चक्रवात की दिशा घड़ी की सुई की दिशा में होती है।

चक्रवात के केंद्र को नेत्र या आँख या EYE कहते हैं। चक्रवात का नेत्र बिलकुल शांत होता है। लेकिन इस नेत्र के चारों ओर कोई 150 किमी के व्यास में बादल का क्षेत्र होता है जिसमें पवन की गति 150 से 250 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है।

चक्रवातों से विनाश

चक्रवात बहुत विनाशकारी हो सकते हैं। चक्रवात से आने वाली तेज पवन के कारण समुद्र में 12 मीटर तक ऊँची लहरें उठती हैं और किनारों से टकराती हैं। इससे तटीय क्षेत्रों में जान माल का भारी नुकसान होता है। भारत के पूर्वी तट में चक्रवात का अधिक खतरा रहता है।

चक्रवात के लिए सुरक्षा उपाय