7 विज्ञान

विद्युत धारा

विद्युत चार्ज के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। किसी भी विद्युत सर्किट में इलेक्ट्रॉन द्वारा चार्ज को इधर से उधर ले जाया जाता है। विद्युत करेंट का SI यूनिट ऐम्पियर (A) है। विद्युत चार्ज का SI यूनिट कूलॉम्ब है।

विद्युत सर्किट

जिस पथ पर विद्युत चार्ज चलता है उसे विद्युत परिपथ या विद्युत सर्किट कहते हैं।

विद्युत परिपथ के प्रतीक

Symbols of Components of Electric Circuit

विद्युत परिपथ के विभिन्न घटकों को कुछ निश्चित प्रतीकों द्वारा दिखाया जाता है। इन चिह्नों की मदद से विद्युत सर्किट को दिखाना काफी आसान हो जाता है। मानक प्रतीकों के इस्तेमाल से यह हर किसी को आसानी से समझ में आ जाता है। उदाहरण के लिए, कोई टीवी मैकेनिक टीवी का सर्किट डायग्राम देखकर आसानी से उसके अवयवों को पहचान सकता है।

बंद सर्किट

Closed Electric Circuit

जब कोई सर्किट पूरी होती है तो इसे बंद सर्किट कहते हैं। पूरी सर्किट का मतलब है कि विद्युत सर्किट में कोई भी गैप न हो। बंद सर्किट से होकर ही विद्युत करेंट बहता है।

खुली सर्किट

Open Electric Circuit

जब कोई सर्किट पूरी नहीं होती है यानि उसमें कोई गैप रहता है तो इसे खुली सर्किट कहते हैं। खुली सर्किट से होकर विद्युत करेंट का प्रवाह नहीं होता है।

विद्युत सेल

जो युक्ति किसी रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा विद्युत चार्ज उत्पन्न करती है उसे विद्युत सेल कहते हैं। टॉर्च और ट्रांजिस्टर में इस्तेमाल होने वाले सेल को सूखा सेल कहते हैं। कार की बैटरी में गीला सेल इस्तेमाल होता है। एक सामान्य ड्राई सेल से 1.5 वोल्ट (V) मिलता है।

बैटरी: एक से अधिक सेल के संयोजन को बैटरी कहते हैं। अधिकतर उपकरणों में 1.5 वोल्ट से अधिक वोल्टेज की जरूरत होती है। इसलिए उन उपकरणों में एक से अधिक सेल का इस्तेमाल होता है।

विद्युत करेंट का तापीय प्रभाव

जब किसी तार से विद्युत करेंट बहता है तो तार का तापमान बढ़ जाता है। इस प्रभाव को विद्युत करेंट का तापीय प्रभाव कहते हैं।

विद्युत करेंट के तापीय प्रभाव के कारण कई उपकरण काम करते हैं। हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले बल्ब, ट्यूबलाइट, आदि विद्युत करेंट के तापीय प्रभाव पर काम करते हैं। बल्ब के अंदर बहुत ही पतले तार की स्प्रिंग जैसी रचना लगी होती है, जिसे बल्ब का फिलामेंट कहते हैं। बल्ब का फिलामेंट टंगस्टेन का बना होता है। फिलामेंट गर्म होकर लाल हो जाता है जिससे रोशनी निकलती है। टंगस्टेन का गलनांक बहुत अधिक होने के कारण यह आसानी से पिघलता नहीं है। इसलिए बल्ब में इसका इस्तेमाल होता है। बल्ब के भीतर एक निष्क्रिय गैस (आर्गन) भरी होती है जो फिलामेंट में आग लगने से बचाती है। विद्युत करेंट के तापीय प्रभाव पर काम करने वाले उपकरणों के अन्य उदाहरण हैं: गीजर, टोस्टर, आयरन, वाटर हीटर, आदि।

हीटिंग एप्लाएंस का एलीमेंट

किसी भी हीटिंग उपकरण में स्प्रिंग जैसी कुंडलित तार या एक धातु का रॉड लगा होता है, जिसे उस उपकरण का एलीमेंट कहते हैं। तार को स्प्रिंग की तरह कुंडलित कर देने से पृष्ठ क्षेत्र बढ़ जाता है जिससे अधिक ऊष्मा मिलती है। ये एलीमेंट अक्सर कॉन्स्टैंटैन नामक धातु के बने होते हैं, जिसका गलनांक बहुत अधिक होता है।

विद्युत फ्यूज

यह एक सुरक्षा युक्ति है जो घरों की वायरिंग और कई विद्युत उपकरणों में लगी होती है। विद्युत फ्यूज का ढ़ाँचा सेरामिक का बना होता है जिसमें फ्यूज वाली तार को फँसाने के लिए दो प्वाइंट रहते हैं। जब वायरिंग में ओवरलोड (जरूरत से अधिक करेंट) होता है तो फ्यूज की तार पिघल कर सर्किट को तोड़ देती है। इससे वायरिंग या महँगे उपकरणों को होने वाले नुकसान से बचाया जाना संभव होता है। कई उपकरणों में काँच का फ्यूज लगा होता है। इस युक्ति में काँच की एक छोटी ट्यूब होती है जिसके भीतर फ्यूज वायर होता है।

MCB (मिनियेचर सर्किट ब्रेकर)

आजकल अधिकतर मकानों और दफ्तरों के स्विचबोर्ड पर आपको फ्यूज की जगह MCB दिखाई देंगे। विद्युत फ्यूज के साथ एक बड़ी समस्या होती थी। जब भी फ्यूज उड़ जाता था तो पूरे घर की बिजली चली जाती थी। किसी न किसी को तुरंत फ्यूज का तार बदलना पड़ता था। रात बिरात ऐसा होने से लोगों को बड़ी परेशानी होती थी। मिनियेचर सर्किट ब्रेकर ऑटोमेटिक तरीके से काम करता है। आपको बस जाकर दोबारा उसका स्विच ऑन करना पड़ता है। MCB के कई नये मॉडल तो इतने कुशल होते हैं कि वे अपने आप ही ऑन या ऑफ हो जाते हैं और किसी को हाथ लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

विद्युत करेंट का चुम्बकीय प्रभाव

सबसे पहले हैंस क्रिश्चियन ऑर्स्टेड (1777-1851) नाम के वैज्ञानिक ने विद्युत करेंट के चुम्बकीय प्रभाव का पता लगाया था। उसने एक तार के पास चुम्बकीय सुई रखकर यह दिखाया था कि जब तार से होकर विद्युत करेंट गुजरता है तो चुम्बकीय सुई में हरकत होती है। आज विद्युत करेंट के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धांत पर कई उपकरण काम में आते हैं।

Magnetic Effect of Electric Current

विद्युत चुम्बक: विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव की मदद से शक्तिशाली विद्युत चुम्बक बनाए जा सकते हैं। इसके लिए लोहे की छड़ पर तार को कई फेरों में लपेटा जाता है। जब इस युक्ति से विद्युत करेंट को पास कराया जाता है तो यह युक्ति विद्युत चुम्बक बन जाती है। जब तक करेंट प्रवाहित होता रहता है तब तक चुम्बकत्व रहता है। जैसे ही करेंट बहना बंद हो जाता है वैसे ही चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है। विद्युत चुम्बक का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक बेल और शक्तिशाली क्रेन में किया जाता है।

विद्युत घंटी

Diagram of Electric Bell

विद्युत चुम्बक में ढ़लवा लोहे की दो छड़ होती है। इन छड़ों के ऊपर तार लपेट कर क्वायल बनाया जाता है। क्वायल के समांतर एक धातु की पट्टी लगी होती है। इस पट्टी के एक सिरे पर एक हथौड़ी लगी होती है। हथौड़ी के नजदीक धातु की एक कटोरी लगी रहती जो घंटी का काम करती है। पट्टी का दूसरा सिरा सर्किट से जुड़ा रहता है। जब स्विच ऑन किया जाता है तो सर्किट में करेंट बहने के कारण ढ़लवा लोहा चुम्बक बन जाता है। यह चुम्बक तब लोहे की पट्टी को अपनी ओर खींचता है। जैसे ही पट्टी चुम्बक के नजदीक जाती है तो इस पट्टी का सम्पर्क सर्किट से टूट जाता है। अब ढ़लवा लोहे में चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है। ऐसे में एक स्प्रिंग लोहे की पट्टी को उसके पुराने स्थान पर खींच लेती है। यह चक्र चलता रहता है जिससे विद्युत घंटी बजती रहती है।