8 इतिहास

महिलाएँ, जातियाँ और सुधार

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: निम्नलिखित लोगों ने किन सामाजिक विचारों का समर्थन और प्रसार किया:

राममोहन रॉय, दयानंद सरस्वती, वीरेशलिंगम पंतुलु, ज्योतिराव फुले, पंडिता रमाबाई, पेरियार, मुमताज अली, ईश्वरचंद्र विद्यासागर

उत्तर:

सती प्रथा उन्मूलनराममोहन रॉय
विधवा विवाहदयानंद सरस्वती, वीरेशलिंगम पंतुलु, ईश्वरचंद्र विद्यासागर
महिला शिक्षाराममोहन रॉय, दयानंद सरस्वती, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, पंडिता रमाबाई, मुमताज अली
जातिगत भेदभाव को हटानाज्योतिराव फुले, पेरियार

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ

  1. जब अंग्रेजों ने बंगाल पर कब्जा किया तो उन्होंने विवाह, गोद लेने, संपत्ति के उत्तराधिकार, आदि के बारे में नए कानून बना दिए।
  2. समाज सुधारकों को सामाजिक तौर तरीकों में सुधार के लिए प्राचीन ग्रंथों से दूर रहना पड़ता था।
  3. सुधारकों को देश के सभी लोगों का पूरा समर्थन मिलता था।
  4. बाल विवाह निषेध अधिनियम1829 में पारित किया गया था।

उत्तर: (a) गलत, (b) गलत, (c) गलत, (d) सही

प्रश्न 3: प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली?

उत्तर: प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में काफी मदद मिली। ऐसे सुधारक अक्सर पुराने ग्रंथों की बातों का उल्लेख करके अपने पक्ष में लोगों को समझाते थे। प्राचीन ग्रंथों के प्रति लोगों के मन बहुत सम्मान होता था। इसलिए उन ग्रंथों की बातों के इस्तेमाल से लोगों को समझाने में सहूलियत होती थी।

प्रश्न 4: लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौन से कारण थे?

उत्तर: लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे कई कारण थे। कुछ लोगों को लगता था कि स्कूल जाने से लड़कियों का दिमाग खराब हो जाएगा। कुछ लोगों को लगता था कि स्कूल उनकी बेटियों को उनसे छीन लेंगे और घर के काम काज से दूर कर देंगे। कुछ लोगों को लगता था जो लड़की पढ़ लिख लेगी वह जल्दी ही विधवा हो जाएगी। कुछ लोग अपने घर की लड़कियों को घर से बाहर निकलने ही नहीं देना चाहते थे।

प्रश्न 5: ईसाई प्रचारकों की बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे? क्या कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया होगा? यदि हाँ तो किस कारण?

उत्तर: ईसाई प्रचारकों के बारे में एक धारण बनी हुई है कि उनका मुख्य उद्देश्य धर्म परिवर्तन करना है। लेकिन बहुत लोगों ने उनका समर्थन भी किया। ईसाई प्रचारकों ने दूर दराज के इलाकों में भी स्कूल खोले और दलितों और आदिवासियों के बच्चों को शिक्षित किया। शिक्षा ने उन बच्चों के लिए कई नये दरवाजे खोल दिए।

प्रश्न 6: अंग्रेजों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन से नए अवसर पैदा हुए जो निम्न मानी वाली जातियों से संबंधित थे?

उत्तर: अंग्रेजों के समय शहर विकसित होने लगे थे। ऐसे में निर्माण कार्य में तेजी आई। सड़कें बनीं, नालियाँ बनी और नये भवन बने। इन कामों के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ी। तेजी से बढ़ते शहरों में माल ढ़ोने के लिए कुली और रिक्शा खींचने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ने लगी। ऐसे कामों के लिए कोई सवर्ण कभी भी तैयार नहीं होता, और ऐसे काम निचली जाति के लोगों के लायक ही माने जाते थे।

प्रश्न 7: ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलओचनाओं को किस तरह से सही ठहराया?

उत्तर: इन सुधारकों ने ब्राह्मणों के श्रेष्ठ होने के दावे को खारिज किया। उनका कहना था कि हर इंसान की एक ही जाति होती है। कुछ का यह भी कहना था कि आर्य तो बाहर से आये थे इसलिए ब्राह्मण भी बाहरी थे। यहाँ के मूल निवासी द्रविड़ थे और निचली जाति के लोग थे जिन्हें ब्राह्मणों ने गुलाम बना लिया था।

प्रश्न 8: फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगिरी को गुलामों की आजादी के चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित क्यों किया?

उत्तर: फुले ने जब अपनी पुस्तक लिखी थी उसी समय अमेरिका में गुलाम प्रथा समाप्त हुई थी। फुले की किताब में द्रविड़ों और निचली जाति के लोगों को ब्राह्मणों द्वारा गुलाम बनाए जाने की बात की गई थी। इस तरह से दोनों ही देशों की बातों में बहुत समानता थी। इसलिए फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगिरी को गुलामों की आजादी के चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित किया।

प्रश्न 9: मंदिर प्रवेश आंदोलन के जरिए अम्बेडकर क्या हासिल करना चाहते थे?

उत्तर: अम्बेदकर यह साबित करना चाहते थे कि हर व्यक्ति को धार्मिक समानता मिलनी चाहिए। इसलिए वे दलितों के लिए मंदिर प्रवेश आंदोलन करते थे।

प्रश्न 10: ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह मदद मिली?

उत्तर: नायकर जब एक बार कांग्रेस की एक भोज में गए तो देखा कि वहाँ जाति के आधार पर बैठने की अलग-अलग व्यवस्था थी। यह देखकर उन्हें बहुत गुस्सा आया। उस घटना के बाद वे राष्ट्रीय आंदोलन के आलोचक बन गए। फुले का कहना था कि राष्ट्रवादी आंदोलन के सवर्ण नेता केवल उपनिवेशवाद का विरोध कर रहे थे। एक बार जब उन्हें दोबारा सत्ता मिल जाती तो वे फिर से निचली जातियों के खिलाफ भेदभाव शुरु कर देते।

दक्षिण अफ्रीका से जब महात्मा गांधी भारत लौटे तो उन्होंने छूआछूत के खिलाफ होने वाली बहस को आगे लाया। ऐसा इस चैप्टर में साफ नहीं है, लेकिन हम अनुमान लगा सकते हैं कि महात्मा गांधी पर इन दोनों सुधारकों के विचारों का प्रभाव पड़ा होगा।