8 नागरिक शास्त्र

सामाजिक न्याय

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: दो मजदूरों से बात करके पता लगाएँ कि उन्हें कानून द्वारा तय किया गया न्यूनतम वेतन मिल रहा है या नहीं। इसके लिए आप निर्माण मजदूरों, खेत मजदूरों, फैक्ट्री मजदूरों या किसी दुकान पर काम करने वाले मजदूरों से बात कर सकते हैं?

उत्तर: मेरे घर के बगल में एक भवन का निर्माण हो रहा है। वहाँ पर काम करने वाले मजदूर को हर दिन 400 रु मजदूरी मिलती है। यह अकुशल मजदूर की न्यूनतम मजदूरी 565 रु से बहुत कम है। मुहल्ले की किराने की दुकान में काम करने वाले मजदूर को हर महीने 5000 रु की पगार मिलती है जो 14698 प्रति महीना न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है।

प्रश्न 2: विदेशी कम्पनियों को भारत में अपने कारखाने खोलने से क्या फायदा है?

उत्तर: विदेशी कम्पनियों को अपने देश की तुलना में भारत में कम मजदूरी देनी पड़ती है। भारत में इन कम्पनियों को मजदूरों के आवास पर कोई खर्च नहीं करना होता है। इससे उनकी काफी बचत होती है और मुनाफा अधिक होता है।

प्रश्न 3: क्या आपको लगता है कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सामाजिक न्याय मिला है? चर्चा करें।

उत्तर: भोपाल गैस त्रासदी पीड़ियों को कुछ मुआवजा दिया गया था। लेकिन किसी के जीवन की कीमत रुपये पैसों में नहीं आँकी जा सकती है। कई लोग तो इतनी बुरी तरह अपाहिज हो चुके थे कि उनके लिए इन पैसों का कोई उपयोग नहीं है। इसलिए हम कह सकते हैं कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सामाजिक न्याय नहीं मिला है।

प्रश्न 4: जब हम कानूनों को लागू करने की बात करते हैं तो इसका क्या मतलब होता है? कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी किसकी है? कानूनों को लागू करना इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

उत्तर: किसी कानून को अमल में लाने को कानून लागू करना कहते हैं। कानून को लागू करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। यदि कोई कानून ठीक से लागू ना किया जाए तो वह बेकार साबित होता है। इसलिए कानू को लागू करना महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 5: कानून के जरिए बाजारों को सही ढ़ंग से काम करने के लिए किस तरह प्रेरित किया जा सकता है? अपने जवाब के साथ दो उदाहरण दें।

उत्तर: सामाजिक न्याय से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई व्यक्ति किसी का शोषण न करे। बाजार में अक्सर मजदूरों, ग्राहकों और उत्पादकों का शोषण होता है। यदि बाजार में हर कोई इमानदारी से काम करे तो किसी का शोषण नहीं होगा। इसे समझने के लिए एक दुकानदार का उदाहरण लेते हैं जो सब्जियों के ऊपर रंग लगाकर रखता है ताकि वे ताजी दिखें। ऐसे रंग बहुत खतरनाक होते हैं और उनसे कैंसर जैसी भयानक बिमारी का खतरा रहता है। यह साफ है कि दुकानदार अपने ग्राहकों का शोषण कर रहा है। सही कानून को लागू करके उस दुकानदार के मन में भय पैदा किया जा सकता है। इससे वह ग्राहकों के साथ बेईमानी करना बंद कर देगा।

प्रश्न 6: मान लीजिए कि आप एक रासायनिक फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर हैं। सरकार ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह वर्तमान जगह से 100 किमी दूर किसी दूसरे स्थान पर अपना कारखाना चलाए। इससे आपकी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा? अपनी राय पूरी कक्षा के सामने पढ़कर सुनाएँ।

उत्तर: मेरे लिए यह एक बुरी खबर है। यदि यह फैक्ट्री 100 किमी दूर चली जाएगी तो मैं बेरोजगार हो जाउंगा। फिर मैं अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाउंगा और अपने बच्चे की स्कूल फीस नहीं दे पाउंगा। हो सकता है कि फिर मुझे कहीं दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने को मजबूर होना पड़े।

प्रश्न 7: इस इकाई में आपने सरकार की विभिन्न भूमिकाओं के बारे में पढ़ा है। इनके बारे में एक अनुच्छेद लिखें।

उत्तर: इस मुद्दे पर सरकार की निम्नलिखित भूमिकाएँ हो सकती हैं:

प्रश्न 8: आपके इलाके में पर्यावरण को दूषित करने वाले स्रोत कौन से हैं? हवा, पानी और मिट्टी में प्रदूषण के संबंध में चर्चा करें। प्रदूषण को रोकने के लिए किस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं? क्या आप कोई और उपाय सुझा सकते हैं?

उत्तर: मेरा घर एक औद्योगिक क्षेत्र में पड़ता है। आस पास में कई कारखाने हैं। इन कारखानों की चिमनियों से काला धुंआ निकलता रहता है जिससे हवा प्रदूषित होती है। इसके कारण पूरे दिन हर कुछ धुंधला दिखता है। कई बार सांस लेने में भी परेशानी होती है। यहाँ का भौमजल भी प्रदूषित हो चुका। बोर वेल से खारा पानी निकलता है जो पीने लायक नहीं होता है। आस पास की खाली जमीन का अधिकतर हिस्सा बंजर हो चुका है।

प्रदूषण रोकने के लिए आजकल जगह जगह पेड़ लगाए जा रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि जब तक प्रदूषण के स्रोत को बंद नहीं किया जाएगा तब तक पेड़ लगाने से कोई फायदा नहीं होगा। चिमनियों में कोई मशीन लगनी चाहिए जिससे प्रदूषित गैसें बाहर न निकलें।

प्रश्न 9: पहले पर्यावरण को किस तरह देखा जाता था? क्या अब सोच में कोई बदलाव आया है? चर्चा करें।

उत्तर: जब भोपाल गैस त्रासदी हुई थी, तब पर्यावरण सुरक्षा के लिए बहुत ही कम नियम थे। जो भी थोड़े बहुत कानून थे, उनका पालन नहीं होता था। लोग पर्यावरण को एक मुफ्त मिलने वाली वस्तु समझते थे। हर उद्योग बिना किसी डर के हवा और पानी को प्रदूषित करता था। कुल मिलाकर कहें तो पर्यावरण के लिए कोई इज्जत ही नहीं थी।

लेकिन अब प्रदूषण को लेकर कई कानून बन चुके हैं। अब तो वाहनों को भी नियमित अंतराल पर प्रदूषण फिटनेस की जाँच करानी होती है।