8 नागरिक शास्त्र

कानून की समझ

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: कानून का शासन पद से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में लिखिए। अपना जवाब देते हुए कानून के उल्लंघन का कोई वास्तविक या काल्पनिक उदाहरण दीजिए।

उत्तर: कानून का शासन का मतलब होता है कि हर नागरिक के लिए एक समान कानून होते हैं। कानून कभी भी धर्म, जाति, लिंग या सामाजिक-आर्थिक हैसियत के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। इसे समझने के लिए एक काल्पनिक उदाहरण लेते हैं।

एक व्यक्ति है जो कि एक बड़े ओहदे का सरकारी अधिकारी है। वह बाजार में किसी दुकानदार पर अपना रोब जमाने के चक्कर में उससे मारपीट कर लेता है। उसे लगता है कि अपने पद की महिमा के कारण कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। लेकिन उस घटना के विरोध में दुकानदार सड़कों पर उतर जाते हैं और हड़ताल करते हैं। दो चार दिनों की हड़ताल के बाद पुलिस को मजबूरन उस अधिकारी को हिरासत में लेना पड़ता है और उसपर मुकदमा चलता है। सीसीटीवी की फूटेज के आधार पर अदालत उसे दोषी करार देती है और उसे चार वर्ष की जेल की सजा सुनाती है।

प्रश्न 2: इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं कि भारत में कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरु किया था। इसके कारणों में दो कारण बताइए।

उत्तर: इतिहासकारों की इस बात के पक्ष में दो कारण नीचे दिए गए हैं।

प्रश्न 3: घरेलू हिंसा पर नया कानून किस तरह बना, महिला संगठनों ने इस प्रक्रिया में अलग-अलग तरीके से क्या भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: घरेलू हिंसा पर कानून बनने की काफी लंबी प्रक्रिया रही है। सबसे पहले कुछ महिला संगठनों ने 1990 के दशक में घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून बनाने की मांग उठाई थी। एक लंबे संघर्ष के बाद 2002 में संसद में इस कानून के लिए एक विधेयक पेश हुआ। उस विधेयक में कई खामियाँ थीं, जिसके विरोध में महिला संगठनों और कानून विशेषज्ञों ने अपनी आवाज उठानी शुरु की। उसके बाद 2005 में कई संशोधन हुए और आखिरकार 2006 में घरेलू हिंसा पर कानून बना।

प्रश्न 4: अपने शब्दों में लिखिए कि इस अध्याय में आए निम्नलिखित वाक्य से आप क्या समझते हैं: अपनी बातों को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष शुरु कर दिया। यह समानता का संघर्ष था। उनके लिए कानून का मतलब ऐसे नियम नहीं थे जिनका पालन करना उनकी मजबूरी हो। वे कानून को उससे अलग ऐसी व्यवस्था के रूप में देखना चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित हो।

उत्तर: यह वाक्य राजद्रोह एक्ट 1870 के परिप्रेक्ष्य में लिखा गया है। इस कानून ने अंग्रेजी हुकूमत को ऐसी अकूत शक्ति दे दी थी जिससे वे उपनिवेशी शासन के खिलाफ किसी भी आवाज का गला आसानी से घोंट सकते थे। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी ट्रायल के जेल में बंद किया जा सकता था।

राष्ट्रवादी नेता समानता का अधिकार चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस कानून का विरोध करना शुरु किया। वे कोई भी ऐसा दमनकारी कानून नहीं चाहते थे जिसे जबरदस्ती लोगों पर थोप दिया जाए। इसके बदले में वे ऐसे कानून की इच्छा रखते थे जिनसे सही मायने में न्याय मिल सके।