10 विज्ञान

इलेक्ट्रिक करेंट का हीटिंग इफेक्ट

बैटरी के दो टर्मिनल के बीच के पोटेंशियल डिफरेंस के कारण इलेक्ट्रिक करेंट बनता है। इलेक्ट्रिक सेल के भीतर रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण यह पोटेंशियल डिफरेंस बनता है। इस प्रक्रिया में केमिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदला जाता है। इलेक्ट्रिकल एनर्जी का कुछ हिस्सा किसी सही काम के लिये इस्तेमाल होता है; जैसे पंखे के ब्लेड का घूमना, या मोटर का घूमना। लेकिन इस एनर्जी का अधिकतर हिस्सा हीट के रूप में निकल जाता है। यदि किसी विशुद्ध रेसिस्टिव सर्किट से होकर करेंट फ्लो करता है तो इलेक्ट्रिकल एनर्जी का अधिकतर हिस्सा हीट के रूप में निकल जाता है। इस घटना को इलेक्ट्रिक करेंट का हीटिंग इफेक्ट कहते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि जब किसी कंडक्टर से करेंट फ्लो करता है तो इलेक्ट्रिक करेंट के हीटिंग इफेक्ट के कारण कंडक्टर का तापमान बढ़ जाता है।

मान लीजिए कि रेसिस्टेंस R वाले रेसिस्टर से करेंट I फ्लो कर रहा है और इस रेसिस्टर का पोटेंशियल डिफरेंस V है। मान लीजिए कि एक चार्ज Q इस रेसिस्टर से समय t के लिये फ्लो करता है। पोटेंशियल डिफ़रेंस V से चार्ज Q को मूव करने के लिये किया गया कार्य नीचे दिया गया है।

`W=VQ`

समय t में सोर्स द्वारा VQ के बराबर एनर्जी सप्लाई की जरूरत है। इसलिये सोर्स द्वारा सर्किट को मिलने वाले पावर को इस तरह लिखा जा सकता है।

`P=V×Q/t`

चूँकि `Q/t` का मान करेंट के बराबर होता है, इसलिये ऊपर लिखे इक्वेशन को इस तरह लिखा जा सकता है।

`P=V×I`

इसलिये समय t में सोर्स द्वारा मिलने वाली एनर्जी का मान P और t के गुणनफल के बराबर होता है।

`P=VIt`

यह एनर्जी हीट के रूप में निकलती है। इसलिये समय t में निकलने वाली हीट की मात्रा;

`H=VIt`

ओम के नियम के अनुसार: `V=IR`

पिछले इक्वेशन में V का मान रखने पर;

`H=I^2Rt`

इसे हीटिंग का जूल का नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार, किसी कंडक्टर में उत्पन्न होने वाला हीट इस तरह वैरी करता है;

इलेक्ट्रिक करेंट के हीटिंग इफेक्ट के प्रैक्टिकल एप्लिकेशन: