7 विज्ञान

ऊष्मा का स्थानांतरण

ऊष्मा का स्थानांतरण तीन तरीकों से होता है: चालन, संवहन और विकिरण

चालन

जिस विधि से ऊष्मा का स्थानांतरण किसी वस्तु के गर्म सिरे से ठंडे सिरे की ओर होता है उस विधि को चालन कहते हैं। इस विधि में ऊष्मा का स्थानांतरण एक अणु से दूसरे अणु तक होता है। ठोस पदार्थों में इसी विधि से ऊष्मा का स्थानांतरण होता है।

चालक: कुछ पदार्थों से होकर ऊष्मा का स्थानांतरण आसानी से होता है। ऐसे पदार्थों को ऊष्मा का चालक या सुचालक कहते हैं। उदाहरण: लोहा, स्टील, सोना, चाँदी, ताम्बा, आदि।

कुचालक: कुछ पदार्थों से होकर ऊष्मा का स्थांतारण मुश्किल से होता है। ऐसे पदार्थों को ऊष्मा का कुचालक या ऊष्मारोधी कहते हैं। उदाहरण: लकड़ी, हवा, पानी, प्लास्टिक, एस्बेस्टस, आदि।

संवहन

जिस विधि से ऊष्मा का स्थानांतरण द्रवों में होता है उस विधि को ऊष्मा का संवहन कहते हैं। इस विधि में अणुओं की गति के कारण ऊष्मा का स्थानांतरण होता है।

इसे समझने के लिए देखते हैं कि हवा कैसे गर्म होती है। सबसे पहले धरती के निकट की हवा गर्म होती है। फिर गर्म हवा ऊपर उठती है। ऊपर उठने वाली हवा के कारण नीचे जो खाली स्थान बनता है उसे भरने के लिए आस पास की ठंडी हवा वहाँ पहुँच जाती है। यह क्रम चलता रहता है और हवा गर्म होती है।

समुद्र समीर

Samudra Samir

तटीय इलाकों में दिन के समय हवा समुद्र से जमीन की ओर बहती है। इसलिए इसे समुद्र समीर कहते हैं। दिन के समय समुद्र की तुलना में जमीन तेजी से गर्म होती है। जमीन से गर्म हवा ऊपर उठती है और उससे नीचे खाली स्थान बनता है। उस खाली स्थान को भरने के लिए समुद्र से ठंडी हवा जमीन की ओर बहती है। ठंडी हवा का आनंद लेने के लिए समुद्री तटों के मकानों की खिड़कियाँ समुद्र की ओर बनाई जाती हैं।

थल समीर

Thal Samir

रात के समय समुद्र की तुलना में जमीन तेजी से ठंडी होती है। इसलिए समुद्र के ऊपर की गर्म हवा ऊपर उठती है और नीचे के खाली स्थान को भरने के लिए जमीन से समुद्र की ओर हवा चलती है। इसे थल समीर कहते हैं।

विकिरण

पहले दो तरीकों में आपने देखा कि ऊष्मा का स्थानांतरण किसी न किसी माध्यम द्वारा होता है। जब कोई माध्यम नहीं होता है तो ऊष्मा का स्थानांतरण विकिरण द्वारा होता है। सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली ऊष्मा विकिरण द्वारा ही पहुँचती है। यह ध्यान रखना होगा कि सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी में अधिकतर हिस्से में कोई माध्यम नहीं होता है। जब ऊष्मा पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है तब जाकर उसे कोई माध्यम मिलता है।

जब आप रूम हीटर का इस्तेमाल करते हैं तो ऊष्मा आप तक विकिरण की विधि से पहुँचती है। एक ही स्थान पर हो सकता है कि ऊष्मा के स्थानांतरण की तीनों विधियाँ काम कर रही होती हैं। जब हम चूल्हे पर बरतन गर्म करते हैं तो तीनों विधियाँ काम करती हैं। चूल्हे से बरतन तक ऊष्मा का स्थानांतरण संवहन द्वारा होता है। बरतन से भोजन तक ऊष्मा का स्थानांतरण चालन द्वारा होता है। बरतन से पास बैठे व्यक्ति तक ऊष्मा का स्थानांतरण विकिरण द्वारा होता है।

ऊष्मा स्थानांतरण और हमारा जीवन

विकिरण का परावर्तन हो सकता है, अवशोषण हो सकता है और कुछ भाग परागत हो सकता है यानि बेकार इधर उधर बिखर सकता है।

गर्मियों में हम सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। सफेद कपड़े पर पड़ने वाली अधिकतर ऊष्मा का परावर्तन हो जाता है। इसलिए सफेद कपड़े अधिक गर्म नहीं हो पाते हैं और हमें अधिक गर्मी नहीं लगती है।

सर्दियों में हम काले या गहरे रंग के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। काले कपड़े पर पड़ने वाली अधिकतर ऊष्मा अवशोषित हो जाती है। इससे काला कपड़ा गर्म हो जाता है और हमें सर्दी में भी गर्माहट महसूस होती है।

सर्दियों में हम ऊनी कपड़े पहनना पसंद करते हैं। ऊन के रेशों के बीच हवा फँसी रहती है। हवा ऊष्मा की कुचालक होती है। इसलिए ऊनी कपड़े से शरीर के भीतर की ऊष्मा बाहर नहीं निकल पाती है और हमारा शरीर गरम रहता है।