8 भूगोल

खनिज और शक्ति संसाधन

शक्ति संसाधन

जिस संसाधन से हमें ऊर्जा मिलती है उसे शक्ति संसाधन कहते हैं। शक्ति संसाधन दो प्रकार के होते हैं, परंपरागत और गैर-परंपरागत। ऊर्जा के जो संसाधन सदियों से इस्तेमाल होते आए हैं उन्हें ऊर्जा के परंपरागत संसाधन कहते हैं। ऊर्जा के जिन संसाधनों का इस्तेमाल हाल में शुरु हुआ है उन्हें ऊर्जा के गैर-परंपरागत संसाधन कहते हैं।

परंपरागत संसाधन

ईंधन

ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन के रूप में मुख्य रूप से लकड़ियों का इस्तेमाल होता है। लकड़ियाँ इकट्ठा करने में बहुत मेहनत लगती है। लकड़ियाँ जलाने से वायु प्रदूषण होता है। लकड़ी का रसोई में इस्तेमाल करने से महिलाओं को सांस की बिमारी होने का खतरा रहता है।

कोयला

आज कोयले का सबसे अधिक इस्तेमाल उद्योगों में होता है। अधिकतर थर्मल पावर प्लांट में कोयला ही मुख्य ईंधन है। लाखों वर्ष पहले पाए जाने वाले पादप दलदल में दब गए थे। समय बीतने के साथ उच्च दाब और तापमान के कारण वे कोयले में बदल गए।

चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, रूस, दक्षिण अफ्रीका और फ्रांस कोयले के अग्रणी उत्पादक हैं। भारत में बंगाल के रानीगंज और झारखंड के झरिया, धनबाद और बोकारो में कोयले की बड़ी खानें हैं।

पेट्रोलियम

शैलों के बीच की खाली परत में पेट्रोलियम पाया जाता है। इसे परिवेधन विधि से निकाला जाता है। कच्चा तेल काले रंग का गाढ़ा और चिपचिपा द्रव होता है। इसके काले रंग और बहमूल्य उपयोगिता के कारण इसे काला सोना कहा जाता है। कच्चे तेल को रिफाइनरी में भेजा जाता है जहाँ इसका परिष्करण किया जाता है। रिफानिंग के बाद पेट्रोलियम से विभिन्न उत्पाद निकलते हैं, जैसे डीजल, पेट्रोल, किरासन, मोम, ग्रीस, आदि।

ईरान, इराक, सऊदी अरब और कतर पेट्रोलियम के मुख्य उत्पादक हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, वेनेजुएला और अल्जीरिया में पेट्रोलियम का अच्छा उत्पादन होता है। भारत में असम के डिग्बोई, मुम्बई के बॉम्बे हाई और कृष्णा-गोदावरी के डेल्टा में पेट्रोलियम का उत्पादन होता है।

प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम भंडार के साथ पाई जाती है। जब कच्चे तेल को निकाला जाता है तो प्राकृतिक गैस भी बाहर आती है। प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल उद्योगों और घरों में होता है। रूस, नार्वे, यूनाइटेड किंगडम और नीदरलैंड प्राकृतिक गैस के मुख्य उत्पादक हैं।

भारत में प्राकृतिक गैस के भंडार जैसलमेर, कृष्णा-गोदावरी डेल्टा, त्रिपुरा और मुंबई के कुछ अपतटीय क्षेत्रों में हैं।

कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस को जीवाश्म ईंधन कहते हैं क्योंकि इनका निर्माण जीवाश्मों से हुआ है। जीवाश्म ईंधनों से हमारी उर्जा की जरूरत का सबसे बड़ा हिस्सा पूरा होता है। लेकिन जीवाश्म ईंधनों के दहन से वायु प्रदूषण होता है।

जल विद्युत

पानी की तेज धारा से टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जाती है। इसके लिए नदियों पर बड़े-बड़े बाँध बनाए जाते हैं। बाँध से पहले विशाल जलाशय में पानी जमा किया जाता है और फिर उसे छोड़ा जाता है। ऊँचाई से निकलने के कारण पानी की धारा की चाल बहुत अधिक होती है जिससे टरबाइन चलता है। उसके बाद पानी को नहरों में छोड़ दिया जाता है जिससे सिंचाई होती है।

दुनिया की ऊर्जा का एक चौथाई हिस्सा पनबिजली से मिलता है। पराग्वे, नार्वे, ब्राजील और चीन पनबिजली के अग्रणी उत्पादक हैं। भारत में मुख्य जल विद्युत केंद्र हैं भाखड़ा नंगल, गाँधी सागर, नागार्जुक सागर और दामोदर घाटी परियोजनाएँ।

पनबिजली के लिए बाँध बनने से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। बाँध के कारण एक विशाल क्षेत्र जलमग्न हो जाता है। इससे हजारों लोगों को विस्थापन का दर्द सहना पड़ता है। वनस्पति और वन्य जीव का भी भारी नुकसान होता है।

गैर-परंपरागत ऊर्जा

सौर ऊर्जा

सूर्य के पास असीमित ऊर्जा है। आज सोलर पैनलों की मदद से सौर ऊर्जा से बिजली बनती है। हमारे देश में वर्ष के अधिकांश महीने में प्रचुर मात्रा में धूप आती है। इसलिए यहाँ सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए अनुकूल माहौल है। सौर ऊर्जा से कोई प्रदूषण नहीं होता है।

पवन ऊर्जा

जिन क्षेत्रों में पवन की गति अच्छी होती है वहाँ पवन चक्कियों की मदद से बिजली बनाई जा सकती है। भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में और तामिल नाडु में पवन ऊर्जा से बिजली बनाई जा रही है।

परमाणु ऊर्जा

जब किसी तत्व का नाभिकीय विखंडन होता है तो भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। परमाणु ऊर्जा इसी सिद्धांत पर काम करती है। भारत में परमाणु ऊर्जा के कई संयंत्र बने हैं। परमाणु ऊर्जा से कम खर्च में अधिक बिजली बनाई जा सकती है। लेकिन न्यूक्लियर पावर प्लांट से हमेशा रेडियेशन लीक होने का खतरा रहता है। रेडियेशन लीक होने से मनुष्यों और जीवों पर होने वाले बुरे असर बहुत लंबे समय तक चलते हैं।

भूतापीय ऊर्जा

पृथ्वी की ऊपरी परत के नीचे पिघला हुआ मैग्मा रहता है जिसका तापमान बहुत अधिक होता है। कुछ स्थानों पर दरारों से होकर यह ऊष्मा बाहर निकलती रहती है। इस ऊष्मा के उपयोग से पानी से भाप बनाई जाती है। उसके बाद भाप से टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में दुनिया का सबसे बड़ा भूतापीय ऊर्जा संयंत्र है। न्यूजीलैंड, आइसलैंड, फिलीपींस, मध्य अमेरिका और रूस में भूतापीय ऊर्जा का इस्तेमाल हो रहा है। भारत में हिमाचल प्रदेश के मणिकरण और लद्दाख के पूगाघाटी में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र हैं।

ज्वारीय ऊर्जा

जब समुद्र में ज्वार आता है तो पानी का स्तर बढ़ जाता है। ज्वार के समय आने वाला पानी जब लौटता है तो उसकी गति से टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जा सकती है। तटीय क्षेत्रों में ज्वारीय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा सकता है।

बायोगैस

जैविक अपशिष्टों के अपघटन से जो गैस बनती है उसे बायोगैस कहते हैं। इसमें मुख्य रूप से मीथेन होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर गैस प्लांट बनाए जाते हैं। इसमें जैविक अपशिष्टों को डाला जाता है, जिसमें मवेशी का मल, खेत का कचरा, आदि रहता है। उसके बाद इसे अपघटन के लिए छोड़ दिया जाता है। गोबर गैस प्लांट से निकलने वाली गैस से चूल्हा जलता है और रोशनी भी मिलती है।