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उद्योग

लोहा इस्पात उद्योग

यह उद्योग एक पोषक उद्योग है जो अन्य उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है। इस उद्योग के निवेश हैं लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, श्रम, पूँजी, स्थान और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर।

प्रक्रम

इस उद्योग का प्रक्रम है लौह अयस्क को इस्पात में बदलना। सबसे पहले कच्चे माल को प्रगलन (गलाने) के लिए झोंका भट्ठी (ब्लास्ट फरनेस) में डाला जाता है। प्रगलन के बाद निकलने वाले लोहे से इस्पात (स्टील) बनाई जाती है। एक टन स्टील बनाने के लिए 4 टन लौह अयस्क में 1 टन चूना पत्थर मिलाया जाता है और 8 टन कोयले का इस्तेमाल ईंधन के रूप में होता है।

स्टील को अन्य उद्योगों का मेरुदंड या रीढ़ की हड्डी माना जाता है। हम जो भी चीज इस्तेमाल करते हैं वह या तो स्टील से बनी होती है या स्टील से बनी मशीनों से बनती है। सुई जैसी छोटी चीज से लेकर विशाल जहाज तक स्टील से ही बनते हैं।

1800 इसवी से पहले लोहा इस्पात उद्योग ऐसे स्थानों पर हुआ करता था जहाँ कच्चा माल, बिजली और पानी आसानी से उपलब्ध थे। बाद में कोयले की खान, नहर और रेलवे से निकटता से इस उद्योग का स्थान तय होता था। 1950 के बाद लोहा इस्पात उद्योग समुद्र पत्तन के पास की समतल जमीन पर पनपने लगा। समुद्री पत्तन पर लौह अयस्क का निर्यात होने से ऐसा होने लगा।

भारत में कच्चे माल की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में इस्पात उद्योग विकसित हुआ। इस्पात उद्योग के मुख्य केंद्र छोटानागपुर पठार में स्थित हैं, जो पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडीसा और छत्तीसगढ़ राज्यों में फैला हुआ है। भिलाई, दुर्गापुर, बर्नपुर, जमशेदपुर, राउरकेला और बोकारो के स्टील प्लांट इसी क्षेत्र में हैं। इस्पात के अन्य महत्वपूर्ण केंद्र हैं कर्णाटक में स्थित भद्रावती और विजयनगर, आंध्रप्रदेश में विशाखापत्तनम और तमिल नाडु में सालेम।

भारत में इस्पात का उत्पादन 1947 के 1 मिलियन टन से बढ़कर 2002 में 30 मिलियन टन हो गया।

जमशेदपुर

भारत में सबसे पहला इस्पात प्लांट 1907 में जमशेदपुर में खुला था। उस जमाने में यह एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम साकची था। यह आधुनिक झारखंड की सुबर्नरेखा और खरकाई नदी के संगम पर है। इसका नाम है टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी (टिस्को)।

साकची की अवस्थिति

बंगाल नागपुर रेलवे लाइन के कालीमाटी स्टेशन से साकची केवल 32 किलोमीटर की दूरी पर था। आसपास के इलाके में लौह अयस्क, कोयला और मैंगनीज के प्रचुर भंडार थे। यह कोलकाता के नजदीक था जो कि एक बड़ा बाजार था। नदी के पास होने का मतलब था पानी की कोई कमी नहीं थी।

भारत के लोहा इस्पात उद्योग में कुछ बड़े समेकित प्लांट हैं और कई मिनी स्टील प्लांट हैं।

पिट्सबर्ग

यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लोहा इस्पात उद्योग का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ कोयले की खानें पास में हैं। लौह अयस्क 1500 किलोमीटर दूर स्थित मिनेसोटा से आता है। मशहूर ग्रेट लेक से मिनेसोटा और पिट्सबर्ग के बीच जहाजों के आने जाने के लिए एक बेहतरीन जलमार्ग मिल जाता है। साथ में रेलवे के बेहतरीन नेटवर्क से अच्छी सहूलियत मिल जाती है। ओहियो, मोनोगहेला और एल्घनी नदियों से पानी मिल जाता है।

आज की तारीख में पिट्सबर्ग में बहुत कम स्टील मिले हैं। अब वे पिट्सबर्ग के से ऊपर मोनोगहेला और एल्घनी नदियों की घाटी में और ओहियो नदी के किनारे स्थित हैं।