10 विज्ञान

धातु और अधातु

धातुओं का परिष्करण

ऊपर दी गई विधियों से निकाली गई धातु में कुछ अशुद्धियाँ रहती हैं। इनका परिष्करण करके शुद्ध धातु निकाली जाती है। इस काम के लिये अक्सर इलेक्ट्रोलिटिक रिफाइनिंग का इस्तेमाल होता है।

electrolysis of copper

इसके लिये अशुद्ध धातु को एनोड की तरह इस्तेमाल किया जाता है और शुद्ध धातु की एक पतली पट्टी को कैथोड की तरह इस्तेमाल किया जाता है। उस धातु के साल्ट के विलयन को इलेक्ट्रोलाइट की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जब उपकरण से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो एनोड से निकलकर अशुद्ध धातु इलेक्ट्रोलाइट में घुल जाती है। इतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु इलेक्ट्रोलाइट से निकलकर कैथोड पर जमा हो जाती है। घुलनशील अशुद्धियाँ विलयन में चली जाती हैं। अघुलनशील अशुद्धियाँ तली में जमा हो जाती हैं जिसे एनोड पंक कहते हैं।

कोरोजन

धातु की हवा और नमी से प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति होती है। इससे कुछ धातुओं पर ऑक्साइड की एक परत बन जाती है। यह प्रक्रिया चलती रहती है और समय के साथ धातु को खा जाती है। इसी प्रक्रिया को कोरोजन कहते हैं।

जंग: लोहे के सामान पर आयरन ऑक्साइड की भूरी परत को जंग कहते हैं। जंग लगने से लोहे का कोरोजन होता है। लोहे में जंग लगने के लिये हवा और नमी की जरूरत पड़ती है।

कोरोजन की रोकथाम

मिश्रधातु:

दो या अधिक धातु या एक धातु और एक अधातु के होमोजेनस मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं। कॉपर और जिंक के मिश्रधातु को पीतल कहते हैं। कॉपर और टिन के मिश्रधातु को कांसा कहते हैं। लेड और टिन के मिश्रधातु को सोल्डर कहते हैं। मरकरी के मिश्रधातु को अमलगम कहते हैं।

सारांश: