10 विज्ञान

कार्बन और उसके यौगिक

साबुन से सफाई:

साबुन के एक अणु का एक आयनिक छोर होता है जो पानी में घुलनशील होता है। साबुन का दूसरा सिरा कार्बन चेन का बना होता है जो तेल में घुलनशील होता है। साबुन के अणु ग्रीस में उपस्थि तेल के कणों से जुड़कर एक गोले जैसी रचना बनाते हैं। इस रचना को मिसेल कहते हैं। एक मिसेल में आयनिक सिरे (हाइड्रोफिलिक सिरा) पानी की तरफ रहते हैं और तेल वाला सिरा (हाइड्रोफोबिक) केंद्र की तरफ होता है। इसके कारण साबुन पानी में इमल्सन बनाता है। मैल और चिकनाई इमल्सन के साथ बाहर निकल जाती है। इस तरह से साबुन से सफाई हो जाती है।

formation of micelle

इस चित्र में मिसेल बनने की प्रक्रिया को दिखाया गया है। जब साबुन का अणु पानी की सतह पर रहता है, तो इसका हाइड्रोफोबिक सिरा पानी के ऊपर रहता है। जब यह अणु ग्रीस या तेल के कणों के पास पहुँचता है तो इसका हाइड्रोफोबिक सिरा ग्रीस या तेल के कण के साथ जुड़ जाता है। इस तरह से साबुण के कई अणु इकट्ठा हो जाते हैं और फिर एक गोले जैसी रचना बनाते हैं; जिसे मिसेल कहते हैं।

मिसेल की सतह पर एक जैसे आयन होते हैं। इनकी वजह से मिसेल एक दूसरे के करीब नहीं आते हैं क्योंकि समान आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। इससे पानी में कोलॉयड नहीं बन पाता है। इससे कपड़े को खंगालते समय मैल और चिकनाई को निकालने में भी मदद मिलती है।

मिसेल का आकार प्रकाश के बिखराव के लिये काफी होता है। इसलिये साबुन का घोल पारदर्शी नहीं होता है।

साबुन और कठोर जल: कठोर जल में कैल्सियम और मैगनीशियम के साल्ट होते हैं। साबुन इन लवणों से प्रतिक्रिया करके कठोर जल में अवक्षेप बनाता है। इसके कारण कठोर जल में साबुन की सफाई करने की क्षमता घट जाती है।

डिटर्जेंट: ये वैसे पदार्थ हैं जो तनु विलयन में भी सफाई की क्षमता रखते हैं। डिटर्जेंट अक्सर लम्बी चेन वाले कार्बोक्सिलिक एसिड के अमोनियम या सल्फोनेट साल्ट होते हैं। सल्फोनेट और अमोनियम के पोलर प्रवृत्ति के कारण डिटर्जेंट कठोर जल में भी कारगर साबित होते हैं।

सारांश: