6 इतिहास

राजा, राज्य और गणराज्य

आप क्या सीखेंगे:

मगध

गंगा नदी के किनारे बसे आज के दक्षिण बिहार, और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से को मगध के नाम से जाना जाता था। 200 वर्षों के भीतर मगध एक महत्वपूर्ण महाजनपद बन गया था। मगध पर नंद वंश का शासन हुआ करता था। मगध की तरक्की के पीछे के कुछ कारण इस प्रकार हैं:

इस क्षेत्र की जमीन को गंगा और सोन तथा गंगा की अन्य सहायक नदियों का पानी मिलता है। इसलिए यहाँ की जमीन उपजाऊ थी और यहाँ प्रचुर मात्रा में पानी था। उपजाऊ जमीन के कारण यहँ की पैदावार अच्छी थी और इसलिए यह एक संपन्न इलाका था। ये नदियाँ जल परिवहन के लिए बहुत ही अच्छा मार्ग प्रदान करती थीं।

मगध के कुछ भागों में घने जंगल थे, जिनसे प्रचुर मात्रा में लकड़ी मिलती थी। लकड़ी का इस्तेमाल भवन, रथ और गाड़ियाँ बनाने में होता था। जंगलों से हाथियों को पकड़ कर प्रशिक्षित किया जाता था ताकि उन्हें सेना में इस्तेमाल किया जा सके।

मगध के दो शक्तिशाली राजा थे बिंबिसार और अजातसत्तु (अजातशत्रु)। उन्होंने अन्य जनपदों को जीतने के हर संभव तरीके अपनाये।

महापद्म नंद एक अन्य शक्तिशाली राजा था। उसने मगध के शासन को उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में भी फैलाया।

मगध के शासक इतने शक्तिशाली थे कि सिकंदर की सेना भी उनके इलाके में घुसने से घबराती थी। आपको शायद पता होगा कि सिकंदर पूरी दुनिया पर फतह करने के इरादे से निकला था। वह यूरोप के मैसीडोनिया का राजा था।

मगह की राजधानी राजगृह में थी, जो आज राजगीर के नाम से जाना जाता है। बाद में राजधानी को पाटलीपुत्र ले जाया गया, जिसे अब पटना के नाम से जाना जाता है। ‘पाटली’ शब्द का अर्थ है पत्तन और ‘पुत्र’ का अर्थ है बेटा। इस तरह से पाटलीपुत्र का मतलब है पत्तन (बंदरगाह) का बेटा‌।

वज्जी

वज्जी भी एक शक्तिशाली राज्य था जिसकी राजधानी वैशाली आज के बिहार में है। मगध के ठीक अलग, वज्जी में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था थी। सरकार को गण या संघ कहा जाता था। एक गण में एक नहीं बल्कि कई शासक होते थे और हर किसी को राजा कहा जाता था। ऐसे राजा सभी अनुष्ठान समूह में करते थे और साथ में सभाएँ करते थे। महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए आपस में सलाह मशवरे लिए जाते थे। लेकिन ऐसी सभाओं में महिलाओं, दासों और कम्मकारों को शामिल नहीं होने दिया जाता था।

बुद्ध और महावीर भी ऐसे ही गणों के सदस्य थे। आपको पता होगा कि बुद्ध और महावीर उस काल के महान विचारक थे।

कई राजाओं ने वैशाली के गणों पर कब्जा करने के लिए कई प्रयास किये। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इन गणों का प्रभुत्व आज से 1500 साल पहले तक कायम रहा। आखिर में सबसे आखिरी गण पर गुप्त वंश के शासकों ने विजय प्राप्त की।