6 इतिहास

अशोक महान

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मौर्य साम्राज्य

लगभग 2300 वर्ष पहले चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। मौर्य साम्राज्य का काल 322 ई पू से 185 ई पू तक था। चाणक्य नाम के एक ब्राह्मण की मदद से चंद्रगुप्ता मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी थी। चाणक्य ने अपनी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ में राजनीति और शासन के बारे में बहुत ही रोचक और सटीक बातें लिखी है। मौर्य साम्राज्य की शुरुआत मगध से हुई थी। धीरे-धीरे यह भारत के विभिन्न भागों में फैल गया। अपने समय का यह सबसे बड़ा साम्राज्य था। भारत के इतिहास में यह आज तक का सबसे बड़ा साम्राज्य था।

राज्य और साम्राज्य में अंतर
राज्यसाम्राज्य
राज्य का क्षेत्र छोटा होता है।साम्राज्य बहुत बड़े क्षेत्र में फैला होता है।
इलाके की रक्षा के लिए छोटी सेना की जरूरत होती है।इलाके की रक्षा के लिए बड़ी सेना की जरूरत होती है।
कर वसूलने के लिए मुट्ठी भर अधिकारी काफी होते हैं।कर वसूलने के लिए अधिकारियों की बड़ी संख्या की जरूरत होती है।
पूरे इलाके पर राजा का सीधा नियंत्रण होता है।राजा स्थानीय राज्यपालों की सहायता से शासन करता है।

चंद्रगुप्त के उत्तराधिकारी: चंद्रगुप्त के बाद उसका पुत्र बिंबिसार राजा बना। उसके बाद बिंबिसार का पुत्र अशोक राजा बना। मौर्य साम्राज्य के सबसे महान राजाओं में चंद्रगुप्त, बिंबिसार और अशोक का नाम आता है।

राजधानी: मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र में थी। इसे अब पटना के नाम से जाना जाता है। इस साम्राज्य के अंदर कई अन्य महत्वपूर्ण शहर आते थे, जैसे कि तक्षशिला, उज्जैन और मथुरा। ये शहर व्यापार के महत्वपूर्ण केंद्र थे। शहरों में मुख्य रूप से व्यापारी वर्ग के लोग रहते थे। किसान और गड़ेरिये गांवों में रहते थे। आखेटक और संग्राहक मध्य भारत के जंगलों में रहते थे। यह साम्राज्य इतना बड़ा था कि विभिन्न भागों के लोग विभिन्न भाषाएँ बोलते थे।

साम्राज्य का शासन:

Map Of India Mauryan Empire

राजधानी का शासन: राजधानी का शासन सम्राट के सीधे नियंत्रण में होता था। कर वसूलने के लिए अधिकारी होते थे। किसानों, गड़ेरियों, व्यापारियों और शिल्पकारों को कर देना पड़ता था। नियम का उल्लंघन करने वाले को सजा दी जाती थी। कई अधिकारियों को वेतन मिलता था। सम्राट और अधिकारियों के बीच सेंदेश के आदान प्रदान का काम दूतों द्वारा होता था। अधिकारियों पर जासूसों की मदद से निगरानी रखी जाती थी। इन सब पर राजा अपनी नजर रखता था। इस काम में राजा के नजदीकी संबंधी और वरिष्ठ मंत्री राजा की मदद करते थे।

प्रांतों का शासन: अन्य क्षेत्रों का शासन प्रांतीय राजधानियों के नियंत्रण में होता था, जैसे कि तक्षशिला और उज्जैन। इन प्रांतों पर पाटलिपुत्र से सम्राट द्वारा थोड़ा बहुत नियंत्रण रखा जाता था। राजकुमारों को अक्सर प्रांतों का राज्यपाल (सूबेदार) बनाया जाता था। लेकिन हर राज्य के स्थानीय नियमों और परंपराओं का पालन किया जाता था।

यातायात मार्ग पर नियंत्रण: प्रांतीय केंद्रों के बीच का भूभाग काफी बड़ा था। इन पर नियंत्रण रखने के लिए अलग तरीका अपनाया जाता था। सड़कों और नदियों पर मौर्य सम्राट का नियंत्रण होता था। सड़कें और नदियाँ यातायात के महत्वपूर्ण मार्ग का काम करती थीं। इन्हीं मार्गों से कर और नजराना वसूला जाता था। कर देना अनिवार्य था। लेकिन नजराना तो देने वाले पर निर्भर करता था। अर्थशास्त्र में लिखा है कि उत्तर-पश्चिम कंबलों के लिए महत्वपूर्ण था, जबकि दक्षिण सोने और जवाहरात के लिए। ऐसा संभव है कि इस प्रकार की वस्तुएँ नजराने के रूप में आती थीं।

जंगल के लोग: जंगल में रहने वाले लोग काफी हद तक स्वतंत्र थे। लेकिन उनसे यह उम्मीद की जाती थी कि वे हाथी, शहद, मोम और लकड़ी प्रदान करें।

मेगस्थनीज का वर्णन

मेगस्थनीज एक राजदूत था जिसे ग्रीक राजा सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त के दरबार में भेजा था। मेगस्थनीज ने सम्राट के महत्व को बतलाने वाले रोचक वर्णन किये हैं। उसने पाटलिपुत्र की शानो-शौकत के बारे में भी लिखा है। मेगस्थनीज ने लिखा है कि पाटलिपुत्र एक बड़ा शहर था। इस शहर में लगभग 579 वुर्ज और 64 द्वार थे। मकान लकड़ी और कच्ची ईंट से बने थे। मकान एकमंजिले और दोमंजिले थे। सम्राट का महल भी लकड़ी और कच्ची ईंट से बना था। महल में नक्काशीदार पत्थरों से सजावट की गई थी। महल के चारों ओर एक खूबसूरत बगीचा था। बगीचे के चारों ओर चिड़ियों के लिए बसेरा बना हुआ था।

मेगस्थनीज ने राजा के जुलूस का वर्णन भी किया है। सम्राट को सोने की पालकी में ले जाया जाता था। उनके रक्षक आगे-आगे सोने और चांदी से सजे हाथियों पर चलते थे। कुछ रक्षक पेड़ लेकर चलते थे जिनके इर्द गिर्द विशेष रूप से प्रशिक्षित चिड़िया उड़ती रहती थी। कुछ तोते राजा के सिर के चारों ओर उड़ते थे। सम्राट् को महिला अंगरक्षक घेरे रहती थीं। कुछ विशेष नौकर होते थे जो राजा के खाने से पहले उसके लिए बने भोजन को चखते थे।

मेगस्थनीज की बातों से पता चलता है कि सम्राट को सबसे अधिक सम्मान दिया जाता था। उसके जीवन पर हमेशा खतरा रहता होगा। इसलिए अंगरक्षकों को रखा गया था। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भोजन में जहर न हो य निश्चित करने के लिए भोजन को विशेष नौकर द्वारा चखा जाता था।