9 समाज शास्त्र

भारतीय मानसून

मानसून का प्रभाव उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में लगभग 20° उत्तर एवं 20° दक्षिण के बीच रहता है। मानसून की प्रक्रिया को समझने के लिए निम्नलिखित तथ्य महत्वपूर्ण हैं:

अंत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र

यह विषुवतीय अक्षांशों में विस्तृत गर्त एवं निम्न दाब का क्षेत्र होता है। यहाँ पर उत्तर-पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें आपस में मिलती हैं। यह अभिषरण क्षेत्र विषुवत वृत्त के लगभग समांनांतर होता है। लेकिन सूर्य की आभासी गति के साथ-साथ यह उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकता है।

दक्षिणी दोलन

सामान्यत: जब दक्षिण प्रशांत महासागर के उष्ण कटिबंधीय पूर्वी भाग में उच्च दाब होता है तब हिंद महासागर के उष्ण कटिबंधीय पूर्वी भाग में निम्न दाब होता है। लेकिन कुछ विशेष वर्षों में वायु दाब की स्थिति विपरीत हो जाती है। दाब की अवस्था में इस नियतकालीन परिवर्तन को दक्षिणी दोलन कहते हैं।

डार्विन, उत्तरी आस्ट्रेलिया (हिंद महासागर 12°30 दक्षिण/131° पूर्व) तथा ताहिती (प्रशांत महासागर 18° दक्षिण/149° पश्चिम) के दाब के अंतर की गणना से मानसून की तीव्रता का पूर्वानुमान लगाया जाता है। यदि यह अंतर ऋणात्मक होता है तो इसका मतलब होता है कि मानसून औसत से कम होगा और देर से आयेगा।

एलनीनो: पेरु में अक्सर ठंडी जलधारा बहती है। लेकिन हर 2 या 5 वर्ष के अंतराल में पेरु के तट से होकर गर्म जलधारा बहती है। इस गर्म जलधारा को एलनीनो कहते हैं। दाब की अवस्था में परिवर्तन का संबंध एलनीनो से है। इसलिए इस परिघटना को एंसो (ENSO EL NINO SOUTHERN OSCILLATION एलनीनो दक्षिणी दोलन) कहा जाता है। एलनीनो के कारण समुद्र की सतह का तापमान बढ़ जाता है और व्यापारिक पवनें शिथिल हो जाती हैं।

मानसून का आगमन एवं वापसी

Arrival of Monsoon India Map

मानसून का समय जून की शुरुआत से लेकर सितंबर के मध्य तक 100 से 120 दिनों का होता है। मानसून के आगमन के समय सामान्य वर्षा में अचानक वृद्धि हो जाती है तथा यह कई दिनों तक जारी रहती है। इस परिघटना को मानसून प्रस्फोट या मानसून का फटना कहते हैं।

मानसून जून के प्रथम सप्ताह में भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर से प्रवेश करता है। इसके बाद यह दो भागों में बँट जाता है: अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा।

  1. अरब सागर शाखा: लगभग दस दिन बाद, यानि 10 जून के आस पास, अरब सागर शाखा मुंबई पहुँचती है। 15 जून तक अरब सागर शाखा सौराष्ट्र, कच्छ एवं देश के मध्य भागों में पहुँच जाती है।
  2. बंगाल की खाड़ी शाखा: यह शाखा भी तेजी से आगे बढ़ती है और जून के पहले सप्ताह में असम पहुँच जाती है। असम के ऊँचे पर्वतों से टकराकर यह शाखा पश्चिम में गंगा के मैदान की ओर मुड़ जाती है।

उसके बाद दोनों शाखाएँ गंगा के मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग में आपास में मिल जाती हैं। दिल्ली में मानसूनी वर्षा बंगाल की खाड़ी शाखा से जून के अंतिम सप्ताह (29 जून तक) होती है। जुलाई के पहले सप्ताह तक मानसून पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और पूर्वी राजस्थान तक पहुँच जाता है। 15 जुलाई तक मानसून हिमाचल प्रदेश और देश के बाकी हिस्सों में पहुँच जाता है।

मानसून की वापसी भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों से सितंबर में शुरु हो जाती है। अक्तूबर के मध्य तक मानसून प्रायद्वीप के उत्तरी भाग से पूरी तरह हट जाता है। उसके बाद प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग में वापसी की गति तेजी से होती है। दिसंबर के शुरु होते होते देश के बाकी हिस्सों से मानसून वापस हो जाता है।

द्वीपों पर मानसून की वर्षा सबसे पहले होती है। यह दक्षिण से उत्तर की ओर अप्रैल के अंतिम सप्ताह से लेकर मई के पहले सप्ताह तक होती है। द्वीपों पर से मानसून की वापसी दिसंबर के पहले सप्ताह से जनवरी के पहले सप्ताह तक उत्तर से दक्षिण्की ओर होती है।