19 वीं सदी तक वैज्ञानिकों को यह पता था कि परमाणु अविभाज्य हैं। लेकिन फिर प्रयोगों से कुछ ऐसे संकेत मिले जिनसे यह लगने लगा कि परमाणु अविभाज्य नहीं हैं। जब आप अपने सूखे बालों में एक कंघी फिराते हैं तो वह कंघी कागज के छोटे टुकड़ों को आकर्षित करती है। ऐसा इसलिए होता है कि रगड़ने के बाद कंघी में आवेश आ जाता है। इससे पता चलता है कि कंघी में उपस्थित परमाणुओं के भीतर कोई न कोई आवेशित कण है। 19वीं सदी में जे जे टॉमसन ने इलेक्ट्रॉन की खोज की। उसके बाद 1886 में ई गोल्डस्टीन ने एक विकिरण की खोज की जिसे ‘कैनाल रे’ का नाम दिया गया। कैनाल रे धनावेशित विकिरण है और इसकी मदद से अन्य अवपरमाणुक कणों की खोज हुई। परमाणु के भीतर रहने वाले कणों को अवपरमाणुक कण या सब एटॉमिक पार्टिकल कहते हैं।
अवपरमाणुक कण | आवेश | द्रव्यमान |
---|---|---|
इलेक्ट्रॉन | -1 | नगण्य |
प्रोटॉन | +1 | 1 यूनिट |
न्यूट्रॉन | 0 | 1 यूनिट |
डाल्टन के अनुसार परमाणु अविभाज्य है। लेकिन इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की खोज के बाद डाल्टन द्वारा प्रतिपादित परमाणु संरचना को खाजिर कर दिया गया। इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की खोज के बाद वैज्ञानिकों ने परमाणु में इन कणों की व्यवस्था के बारे में शोध किया और अलग-अलग प्रकार से परमाणु संरचना की व्याख्या की।
टॉमसन के मॉडल ने परमाणु के उदासीन प्रवृत्ति की सही व्याख्या की। लेकिन इस मॉडल से कई अन्य प्रयोगों के परिणामों की व्याख्या संभव नहीं हो पाई। इसलिए एक नये परमाणु मॉडल की जरूरत महसूस हुई।
रदरफोर्ड ने अनुमान किया था कि सोने के परमाणुओं में स्थित अवपरमाणुक कणों द्वारा अल्फा कणों का विक्षेपण होगा। प्रोटॉन की तुलना में अल्फा कणों का द्रव्यमान बहुत अधिक होता है इसलिए अधिक विक्षेपण की उम्मीद नहीं थी।
रदरफोर्ड के अनुमान के विपरीत इस प्रयोग के अद्भुत परिणाम आये जो नीचे दिये गये हैं:
रदरफोर्ड का कहना था कि यह परिणाम उसी प्रकार अविश्वसनीय था जैसे यदि आप एक 15 इंच के तोप के गोले को टिशू पेपर के टुकड़े पर मारें और गोला वाप लौटकर आपको चोट पहुँचा दे।
कोई भी आवेशित कण जब गोलाकार कक्ष में घूमता है तो उसमें त्वरण रहता है। त्वरण के कारण आवेशित कण से ऊर्जा का विकिरण होता है। इसलिए स्थाई कक्ष में घूमते हुए इलेक्ट्रॉन से ऊर्जा का विकिरण या ह्रास होता रहेगा और अंत में वह नाभिक से टकरा जाएगा। दूसरे शब्दों में, वर्तुलाकार मार्ग पर घूमते हुए इलेक्ट्रॉन का स्थायी होना संभव नहीं है। यदि ऐसा होता तो परमाणु अस्थिर होता यानि उसका विनाश हो जाता। लेकिन हम जानते हैं कि परमाणु स्थिर होते हैं।
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