9 समाज शास्त्र

क्रिकेट की कहानी

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: टेस्ट क्रिकेट कई मायनों में एक अनूठा खेल है। इस बारे में चर्चा कीजिए कि यह किन किन अर्थों में बाकी खेलों से भिन्न हैं। ऐतिहासिक रूप से एक ग्रामीण खेल के रूप में पैदा होने से टेस्ट क्रिकेट में किस तरह की विलक्षणताएँ पैदा हुई हैं?

उत्तर: क्रिकेट, खासकर से टेस्ट क्रिकेट कई मायनों में एक अनूठा खेल है। आज जब आधुनिक खेल चंद घंटों के भीतर समाप्त हो जाते हैं, क्रिकेट का टेस्ट मैच पाँच दिनों तक चलता रहता है। अठारहवीं सदी के इंग्लैंड में अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित थी। इसलिए लोगों के पास खेती के ऑफ सीजन में समय ही समय होता था और वे आराम से पाँच दिनों के मैच का आनंद ले सकते थे। अन्य खेलों के विपरीत क्रिकेट के मैदान का आकार और आकृति निश्चित नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए हुआ कि क्रिकेट को शुरु में कॉमन्स की जमीन पर खेला जाता था और ऐसी जमीन का आकार और आकृति जगह के अनुसार अलग हो सकते थे। क्रिकेट के साजो सामान पूर्व-औद्योगीकरण काल में विकसित होने के कारण नैसर्गिक सामानों से बनते हैं। बल्ला, स्टंप और गिल्लियाँ लकड़ी से बनती हैं। बॉल कॉर्क से बनती है और उसके ऊपर चमड़े की एक परत होती है।

प्रश्न 2: एक ऐसा उदाहरण दीजिए जिसके आधार पर आप यह कह सकें कि उन्नीसवीं सदी में तकनीक के कारण क्रिकेट के साजो-सामान में परिवर्तन आया। साथ ही ऐसे उपकरणों में से भी कोई एक उदाहरण दीजिए जिनमें कोई बदलाव नहीं आया।

उत्तर: उन्नीसवीं सदी में जब वल्कनाइज्ड रबर की खोज हुई तो उसके इस्तेमाल से पैड बनने लगे। पैड का इस्तेमाल बल्लेबाज और विकेटकीपर करते हैं जिससे उनके पैरों को सुरक्षा मिलती है। उसके पहले गेंदबाज सीधे-सीधे बल्लेबाज की पिंडलियों को निशाना बनाकर बॉलिंग करते थे। लेकिन तकनीकी बदलावों के बावजूद क्रिकेट की गेंद और स्टंप में कोई बदलाव नहीं हुआ।

प्रश्न 3: भारत और वेस्ट इंडीज में ही क्रिकेट क्यों इतना लोकप्रिय हुआ? क्या आप बता सकते हैं कि यह खेल दक्षिण अमेरिका में इतना लोकप्रिय क्यों नहीं हुआ?

उत्तर: भारत और वेस्ट इंडीज में क्रिकेट खेलने के कई मतलब होते थे। दक्षिण अफ्रिका में क्रिकेट मुख्य रूप से गोरों द्वारा खेला जाता था। भारत और वेस्ट इंडीज में स्थानीय रईसों ने अपने गोरे आकाओं की नकल करने के चक्कर में क्रिकेट खेलना शुरु किया। समय बीतने के साथ क्रिकेट एक जरिया हो गया जिसके माध्यम से वे अपने आपको गोरों के टक्कर का या फिर उनसे बेहतर साबित करने की कोशिश करते थे। इसलिए दक्षिण अफ्रिका की तुलना में भारत और वेस्ट इंडीज में क्रिकेट अधिक लोकप्रिय हुआ।

प्रश्न 4: निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए:

(a) भारत में पहला क्रिकेट क्लब पारसियों ने खोला।

उत्तर: पश्चिमी जीवन शैली की नकल करने में पारसी सबसे आगे थे और उन्होंने ही सबसे पहला भारतीय क्रिकेट क्लब बनाया। उन्होंने 1848 में बंबई में ओरिएंटल क्रिकेट क्लब की स्थापना की। टाटा और वाडिया जैसे पारसी व्यवसायी इन क्लबों को स्पॉंसर करते थे।

(b) महात्मा गांधी पेंटाग्युलर टूर्नामेंट के आलोचक थे।

उत्तर: अंग्रेज हमेशा से भारत को कई राष्ट्रों के समूह के रूप में देखते थे। उनका मानना था कि हिंदू राष्ट्र और मुस्लिम राष्ट्र अलग-अलग थे। अंग्रेज कभी नहीं चाहते थे कि भारत के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा रहे। इसलिए अंग्रेज धर्म पर आधारित क्रिकेट क्लबों को बढ़ावा देते थे। लेकिन महात्मा गांधी और कई अन्य राष्ट्रवादी नेता धर्म पर आधारित इस विभाजन के खिलाफ थे। यही कारण है कि गांधीजी पेंटाग्युलर टूर्नामेंट के आलोचक थे।

(c) आईसीसी का नाम बदलकर इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस के स्थान इंटरनेशनल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस कर दिया गया।

उत्तर: इम्पीरियल शब्द से उपनिवेशवाद की बू आती थी। इस शब्द से यह भी पता चलता था कि विश्व क्रिकेट के मुख्य संस्थान पर उपनिवेशी शक्ति का वर्चस्व था। जब भारत और पाकिस्तान जैसे मुल्कों की हैसियत क्रिकेट की दुनिया में बढ़ने लगी तो नाम बदलने के अलावा और कोई चारा न हा। इसलिए नया नाम रखा गया।

(d) आईसीसी मुख्यालय लंदन की जगह दुबई में स्थानांतरित कर दिया गया।

उत्तर: आईसीसी का मुख्यालय तब तक लंदन में ठीक था जबतक क्रिकेट का केंद्रबिंदु इंग्लैंड में था। जब उपमहाद्वीप के देशों ने अपने खेल का स्तर उठाया तो यहाँ के बाजार से क्रिकेट को कमाई भी अधिक होने लगी। धीरे धीरे क्रिकेट की दुनिया में सत्ता का केंद्र भारतीय उपमहाद्वीप में बन गया। इसलिए आईसीसी मुख्यालय को लंदन की जगह दुबई कर दिया गया।

प्रश्न 5: तकनीक के क्षेत्र में आए बदलावों, खासतौर से टेलीविजन तकनीक में आए नए परिवर्तनों से समकालीन क्रिकेट के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा है?

उत्तर: जब टेलीविजन पर क्रिकेट का सीधा प्रसारण होने लगा तो इसका जबरदस्त और दूरगामी असर पड़ा। अब छोटे कस्बों और गाँवों के लोग भी क्रिकेट का आनंद ले सकते थे और अपने चहेते खिलाड़ियों को देखकर बहुत कुछ सीख सकते थे। आप गौर करेंगे कि 1990 से पहले तक भारतीय क्रिकेट टीम में मुम्बई और अन्य महानगरों के खिलाड़ी भरे पड़े होते थे। आज की तारीख में राँची और देहरादून जैसे छोटे शहरों के लड़के भी भारतीय टीम में चुने जाते हैं। टेलीविजन कंपनियों को विज्ञापन से अच्छी कमाई होने लगी। खिलाड़ी भी विज्ञापन के जरिये मोटी रकम कमाते हैं और इससे उनका भविष्य सुरक्षित रहता है।