9 समाज शास्त्र

आधुनिक विश्व में चरवाहे

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है? इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ हैं?

उत्तर: घुमंतू समुदायों को चारे की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता है। इसे समझने के लिए जम्मू के गुज्जर बकरवाल का उदाहरण लेते हैं। जाड़े में जब पहाड़ों पर बर्फ होती है तो वहाँ चारे की कमी हो जाती है। ऐसे में चरवाहे शिवालिक के निचले इलाकों में चले जाते हैं जहाँ भरपूर चारा मिलता है। फिर जब गर्मी शुरु होती है तो पहाड़ों की बर्फ पिघल जाती है और वहाँ प्रचुर चारा उग जाता है। ऐसे में चरवाहे ऊँचे पहाड़ों की ओर चले जाते हैं।

इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को बहुत लाभ मिलता है। जब चरवाहे एक स्थान को छोड़ कर चले जाते हैं तो वहाँ घास को दोबारा पनपने का मौका मिलता है। इस तरह से वहाँ की वनस्पति जात की विविधता कायम रहती है। यदि चरवाहे एक ही जगह टिक कर रहेंगे तो फिर वहाँ की सारी वनस्पति समाप्त हो जाएगी जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित होगा।

प्रश्न 2: इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? यह भी बताइए कि इन कानूनों से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा।

(a) परती भूमि नियमावली

उत्तर: अंग्रेजों को लगता था कि परती भूमि का सदुपयोग नहीं हो रहा था। सदुपयोग से उनका मतलब था जमीन पर खेती और जमीन से मालगुजारी की वसूली। इसे सुनिश्चित करने के लिए परती भूमि नियमवाली लागू हुई। अब परती भूमि को कुछ लोगों को दे दिया गया और उन्हें खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इससे चरागाह कम होने लगे और चरवाहों के जीवन पर बुरा असर पड़ा।

(b) वन अधिनियम

उत्तर: इंगलैंड में जहाज बनाने और रेल लाइन बिछाने के लिए लकड़ी कम पड़ रही थी। भारत के वनों में लकड़ी बहुतायत में थी। भारत की लकड़ी का इस्तेमाल करने के उद्देश्य से वन अधिनियम लागू किया गया। इस नियम के तहत वनों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया, आरक्षित, सुरक्षित और ग्रामीण। आरक्षित वनों में चरवाहों का जाना बंद कर दिया गया। सुरक्षित वनों में जाने के लिए परमिट की जरूरत पड़ती थी और चरवाहों की गतिविधि पर पैनी नजर रखी जाती थी। इस नियम से भी चरागाह कम होने लगे और चरवाहों की परेशानी बढ़ गई।

(c) अपराधी जनजाति अधिनियम

उत्तर: अंग्रेजों हमेशा घुमंतू समुदायों को शक की दृष्टि से देखते थे। उन्हें लगता था कि इस तरह के लोग जन्मजात अपराधी होते हैं। ऐसे लोगों पर नियंत्रण करने के लिए अपराधी जनजाति अधिनियम लागू किया गया। अब कई समुदायों को अपराधी जनजाति की श्रेणी में रख दिया गया। ऐसे लोगों को कुछ चुने हुए गाँवों में ही रहने को कहा गया। इससे चरवाहों के मौसमी आवागमन पर बुरा असर पड़ा। एक ही जगह पर लगातार रुकने से चारे की किल्लत होने लगी। कई मवेशी भुखमरी का शिकार हो गये।

(d) चराई कर

उत्तर: अंग्रेज टैक्स वसूलने के लिए हर संभव स्रोत की तलाश में रहते थे। इसलिए चराई कर लागू किया गया। चरवाहों से प्रति मवेशी के दर से टैक्स वसूला जाने लगा। इससे चरवाहों की आय पर बुरा असर पड़ा।

प्रश्न 3: मसाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताएँ।

उत्तर: जब यूरोप की उपनिवेशी शक्तियों के बीच झगड़े शुरु हुए तो उन्होंने उन्नीसवीं सदी के आखिर में अफ्रिकी महाद्वीप का आपस में बँटवारा कर लिया। इसके परिणामस्वरूप 1885 में मसाई का इलाका दो भागों में बँट गया। अब उपनिवेशी काल के पहले की तुलना में मसाई लोगों का 60% से अधिक हिस्सा उनके हाथ से चला गया।

चरागाह के बड़े हिस्से को शिकारगाह बना दिया गया, जैसे केन्या का मसाई मारा और साम्बूरू नेशनल पार्क और तंजानिया का सेरेंगेती पार्क। अब इन इलाकों में मसाई अपने पशुओं को लेकर नहीं जा सकते थे।

प्रश्न 4: आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मसाई गड़रियों दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।

उत्तर: भारतीय चरवाहों और मसाई गड़रियों के लिए दो समान परिवर्तन निम्नलिखित हैं:

इलाके का विभाजन: 1947 में भारत के विभाजन के बाद राजस्थान के राइका चरवाहे सिंध के इलाके में नहीं जा सकते थे। अब उनके चरागाह का क्षेत्र कम हो चुका था। 1885 में उपनिवेशी शक्तियों के बीच अफ्रीकी महाद्वीप का बँटवारा हो जाने के बाद मसाई लोगों का इलाका कम हो गया।

नये वन अधिनियम: भारत में वन अधिनियम लागू होने के बाद कुछ वनों में चरवाहों के जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग गया। ऐसा ही अफ्रिका में हुआ जब कुछ वनों को शिकारगाह घोषित कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप मसाई मारा जैसे शिकारगाहों में अब मसाई गड़रिये नहीं जा सकते थे।