9 समाज शास्त्र

काश्तकार और किसान

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस तरह से देखती थी। संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को इनकी नजर से देखने का प्रयास करें:

उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था से संतुष्ट थी। खुले खेतों को जरूरत के हिसाब से लोग आपस में साझा करते थे। इससे गरीब किसानों को बहुत सहूलियत हो जाती थी, क्योंकि खुले खेत उनके मवेशी के लिए चारे, और उनके लिए जलावन और भोजन का अहम स्रोत होते थे।

(a) एक संपन्न किसान

उत्तर: जब ऊन की माँग बढ़ने लगी तो संपन्न किसान को भेड़ पालन में कमाई के नए अवसर दिखने लगे। भेड़ों के लिए बड़े चरागाहों की जरूरत पड़ने लगी। ऐसे में उन किसानों को खुले खेतों पर कब्जा जमाना सबसे उचित लगा होगा।

(b) एक मजदूर

उत्तर: किसी भी मजदूर की कमाई बहुत कम होती है। खुले खेत कई तरह के संसाधन मुहैया कराकर गरीब मजदूर की बहुत मदद करते थे। गरीब मजदूर अपने परिवार के लिए जलावन और कंद मूल खुले खेतों से इकट्ठा कर लेता था। कभी कभी खुले जंगलों से वह छोटे मोटे शिकार भी पकड़ लेता था ताकि बेहतर भोजन कर सके।

(c) एक खेतिहर स्त्री

उत्तर: खेतिहर स्त्री के पास अपनी जमीन तो होती नहीं है। ऐसे में खुले खेतों के कारण उसे थोड़ी सी जमीन मिल जाती थी जिसपर वह अपने परिवार के काम भर की फल-सब्जियाँ या कुछ और उगा सके।

प्रश्न 2: इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या करें।

उत्तर: इंग्लैंड में बाड़ाबंदी आंदोलन के दो कारण थे, जो नीचे दिए गए हैं:

ऊन की बढ़ती माँग: अठारहवीं सदी में ऊन की माँग बढ़ने लगी थी। ऊन के अधिक उत्पादन के लिए अधिक भेड़ों को पालने की जरूरत थी। बड़े किसानों को इसमें अवसर नजर आया। भेड़ों के बड़े होते झुंड के लिए उन्हें बड़े चरागाहों की जरूरत हुई। इसलिए उन्होंने खुले खेतों पर बाड़े लगाकर उनपर कब्जा जमा लिया।

भोजन की बढ़ती माँग: बाड़ाबंदी के दूसरे चरण में इंग्लैंड की जनसंख्या तेजी से बढ़ी। बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिए अधिक अनाज की जरूरत थी। बड़े किसानों ने खेती में विस्तार करना शुरु किया। इसके लिए उन्होंने खुले खेतों पर बाड़ाबंदी की ताकि खेती लायक जमीन को बढ़ा सकें।

प्रश्न 3: इंग्लैंड के गरीब किसान थ्रेशिंग मशीनों का विरोध क्यों कर रहे थे?

उत्तर: थ्रेशिंग मशीन के इस्तेमाल से समय और श्रम की बचत होती थी। इससे बड़े किसानों की मजदूरों पर निर्भरता भी कम होती थी। लेकिन थ्रेशिंग मशीन के कारण रोजगार के अवसर कम होने लगे थे और मजदूरों को काम नहीं मिल रहा था। इसलिए इंग्लैंड के गरीब किसान थ्रेशिंग मशीनों का विरोध कर रहे थे।

प्रश्न 4: कैप्टेन स्विंग कौन था? यह नाम किस बात का प्रतीक था और वह किन वर्गों का प्रतिनिधित्व करता था?

उत्तर: कैप्टेन स्विंग कोई वास्तविक आदमी नहीं था, बल्कि एक काल्पनिक व्यक्ति था। यह नाम अमीर किसानों और बाड़ाबंदी आंदोलन के प्रति विरोध का प्रतीक था। कैप्टेन स्विंग इंग्लैंड के गरीब किसानों का प्रतिनिधित्व करता था।

प्रश्न 5: अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार के कई दूरगामी प्रभाव पड़े। जैसे जैसे गोरे लोग पश्चिम की ओर बढ़ते गए, उन्होंने स्थानीय निवासियों को हाशिये पर धकेलना शुरु कर दिया। अमेरिकन इंडियन भारी संख्या में मारे गये और जो बचे थे उन्हें जान बचाकर भागना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका की आबादी का स्वरूप ही बदल गया। स्थानीय लोग अल्पसंख्यक हो गए और आप्रवासी बहुसंख्यक बन गए।

खेती लायक जमीन साफ करने के चक्कर में आप्रवासियों ने पूरे के पूरे जंगल और घास के मैदानों को साफ कर दिया। अब अमेरिका के पूर्वी किनारे से पश्चिमी किनारे तक प्राकृतिक वनस्पति का नामोनिशान नहीं था। इससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ा।

प्रश्न 6: अमेरिका में फसल काटने वाली मशीनों के फायदे नुकसान क्या-क्या थे?

उत्तर: फसल काटने वाली मशीनों से समय और श्रम की बचत होती थी। इन मशीनों के कारण कम समय में विशाल खेतों से कटाई हो जाती थी। लेकिन इन मशीनों के कारण गरीबों के बीच बेरोजगारी बढ़ गई। बड़े किसान तो मशीनों को खरीदने की हैसियत रखते थे लेकिन छोटे किसानों की ऐसी हैसियत नहीं थी। कुछ छोटे किसानों ने मशीन खरीदने के लिए कर्ज लिए तो फिर वे कर्ज के जाल में फँस गये।

प्रश्न 7: अमेरिका में गेहूँ की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम क्या सबक ले सकते हैं?

उत्तर: अमेरिका में गेहूँ की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम दो सबक ले सकते हैं। पहला सबक यह है कि नई टेक्नॉलोजी के सही इस्तेमाल से उत्पादन बहुत बेहतर किया जा सकता है। दूसरा सबक यह है कि किसी भी टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल करते समय हमें पर्यावरण की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। यदि पर्यावरण का विनाश होगा तो अंत में हमारा भी विनाश हो जाएगा।

प्रश्न 8: अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर क्यों दबाव डाल रहे थे?

उत्तर: अंग्रेजों के लिए चाय का मुख्य स्रोत चीन था। लेकिन चीन के साथ होने वाले चाय के व्यापार में अंग्रेजों को मुनाफा नहीं हो रहा था। अफीम में उन्हें अवसर दिखा जिसके माध्यम से वे चाय के व्यापार में होने वाले घाटे को पाट सकते थे और मुनाफा भी कमा सकते थे। इसलिए अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाल रहे थे।

प्रश्न 9: भारतीय किसान अफीम के खेती के प्रति क्यों उदासीन थे?

उत्तर: अफीम की खेती के लिए सबसे अच्छी जमीन की जरूरत होती थी। इसका मतलब था कि किसानों को अनाज और दाल के लिए दूसरे या तीसरे दर्जे की जमीन का इस्तेमाल करना पड़ता, जिससे उत्पादन कम होने की आशंका थी। अफीम की खेती में बहुत मेहनत और समय लगता है। इससे किसानों को अन्य फसलों पर ध्यान देने का वक्त ही नहीं मिल पाता था। आखिरी बात यह थी की अंग्रेजी हुकूमत किसानों से बहुत ही सस्ते दामों में अफीम खरीदती थी, जिससे किसानों को नुकसान होता था। इसलिए भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति उदासीन थे।