9 समाज शास्त्र

मानव संसाधन

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: ‘संसाधन के रूप में लोग’ से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: जिस तरह से जमीन, कच्चा माल, उपकरण, पूँजी, आदि संसाधन होते हैं उसी तरह लोग भी संसाधन होते हैं। आदमी के दखल के बिना किसी भी संसाधन का उपभोग असंभव होता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि लोग संसाधन का रूप होते हैं।

प्रश्न 2: मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है?

उत्तर: भूमि और भौतिक पूँजी जैसे संसाधनों की तुलना में मानव संसाधन बिलकुल भिन्न है। मानव संसाधन को बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। अन्य संसाधनों से उत्पादन के लिए मुद्रा और भौतिक बल की जरूरत पड़ती है। मानव संसाधन के दखल के बिना अन्य संसाधन बेकार साबित होते हैं।

प्रश्न 3: मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?

उत्तर: मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की अहम भूमिका है। आमतौर पर एक शिक्षित व्यक्ति न केवल अधिक कार्यकुशल होता है बल्कि बेहतर कमाता भी है। शिक्षित व्यक्ति का परोक्ष असर अशिक्षित व्यक्ति पर भी पड़ता है। इसे समझने के लिए एक इंजीनियर का उदाहरण लेते हैं। जब कोई इंजीनियर भवन निर्माण के काम में लगता है तो उसके कारण कई अशिक्षित लोगों को भी रोजगार मिल जाता है।

प्रश्न 4: मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर: एक स्वस्थ आदमी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर सकता है। लेकिन एक अस्वस्थ व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर सकता है। उसे बार बार छुट्टी लेनी पड़ती है। अस्वस्थ व्यक्ति अर्थव्यवस्था पर बोझ भी साबित हो सकता है।

प्रश्न 5: किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर: किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की अहम भूमिका होती है। यदि कोई छात्र अक्सर बीमार रहता है तो वह नियमित रूप से स्कूल नहीं जा पाता है। इसका उसकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। बाद में उसकी कुशलता ठीक से विकसित नहीं हो पाती है और सही रोजगार नहीं मिल पाता है। यदि कोई वयस्क अक्सर बीमार रहता है तो वह अपने काम को पूरी क्षमता से नहीं कर पाता है। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ उसकी तरक्की नहीं हो पाती है।

प्रश्न 6: प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती हैं?

उत्तर: प्राथमिक क्रियाएँ: जो आर्थिक क्रियाएँ कृषि, मुर्गी पालन, मछली पालन, वानिकी, पशुपालन, खनन, उत्खनन, आदि से संबंधित होती हैं उन्हें प्राथमिक क्रिया कहते हैं। प्राथमिक क्रियाओं में प्राकृतिक संसाधनों को केवल निकाला जाता है और उनमें ना के बराबर बदलाव लाया जाता है।

द्वितीयक क्रियाएँ: विनिर्माण से जुड़ी क्रियाओं को द्वितीयक क्रिया कहते हैं। द्वितीयक क्रियाओं में प्राकृतिक संसाधनों का पूरी तरह से रूपांतरण किया जाता है।

तृतीयक क्रियाएँ: जो क्रियाएँ प्राथमिक और द्वितीयक क्रियाओं का समर्थन करती हैं उन्हें तृतीयक क्रिया कहते हैं। बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट, वित्त, दूर-संचार, आदि तृतीयक क्रियाओं के उदाहरण हैं।

प्रश्न 7: आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में क्या अंतर है?

उत्तर: जब कोई काम करने से उसके बदले में वेतन या मेहनताना मिलता है तो उसे आर्थिक क्रिया कहते हैं। जब किसी काम के बदले में कोई मेहनताना नहीं मिलता है और उसका कोई उद्देश्य भी नहीं रहता है तो उसे गैर-आर्थिक क्रिया कहते हैं। जब कोई डॉक्टर अस्पताल में मरीज को देखता है तो वह आर्थिक क्रिया करता है क्योंकि अस्पताल से डॉक्टर को वेतन मिलता है। लेकिन वही डॉक्टर जब अपने पिता का इलाज करता है तो वह गैर-आर्थिक क्रिया करता है।

प्रश्न 8: महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं?

उत्तर: ऐसा देखा गया है कि महिलाएँ अक्सर शिक्षा या कुशलता के मामले में पुरुषों से पीछे होती हैं। इसके अलावा, लोगों में महिलाओं के प्रति भेदभाव की भावना भी है। इसलिए महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिलता है।

प्रश्न 9: ‘बेरोजगारी’ शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?

उत्तर: जब कोई आदमी काम की तलाश में हो लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा हो तो ऐसे आदमी को बेरोजगार कहते हैं। केवल 15 से 59 आयु वर्ग के लोगों को ही बेरोजगार की श्रेणी में रख सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से काम नहीं करना चाहता है तो उसे बेरोजगार की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।

प्रश्न 10: प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है?

उत्तर: प्रच्छन्न बेरोजगारी में दिखता है कि लोगों को रोजगार मिला हुआ है लेकिन ऐसा होता नहीं है। जो काम एक आदमी से हो सकता है उसमें एक से अधिक आदमी इसलिए लगे रहते हैं कि बाकी के पास कोई रोजगार नहीं होता है। मौसमी बेरोजगारी की स्थिति में साल के कुछ महीने लोगों को काम के बगैर रहना पड़ता है। दोनों प्रकार की बेरोजगारी अक्सर गाँवों में देखने को मिलती है।

प्रश्न 11: शिक्षित बेरोजगाती भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है?

उत्तर: शहरी क्षेत्रों में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या भयानक है। आजकल तो ऊँची शिक्षा वाले युवक भी (ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट) बेरोजगार बैठे हुए हैं। कुछ शोधों से पता चला है कि उच्च शिक्षा प्राप्त युवकों में अधिकांश के पास इतनी कुशलता नहीं है कि उन्हें कोई काम पर रखे। लेकिन अधिकतर शोधों से यह पता चलता है कि इसका असली दोषी मांग और आपूर्ति में असंतुलन है।

प्रश्न 12: आप के विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है?

उत्तर: मुझे लगता है कि भारत में तृतीयक क्षेत्रक में सबसे अधिक रोजगार का सृजन हो सकता है।

प्रश्न 13: क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं?

उत्तर: मौजूदा शिक्षा प्रणाली में किताबी ज्ञान पर अधिक जोर दिया जाता है। लोगों को कौशल बढ़ाने वाली शिक्षा मिलनी चाहिए। अधिकतर लोगों को लगता है कि कहीं नौकरी करने से ही बेरोजगारी दूर होती है। इस मानसिकता को तोड़ने के लिए लोगों में उद्यमी बनने की भावना पैदा करनी होगी।

प्रश्न 14: क्या आप कुछ ऐसे गाँवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया?

उत्तर: दिल्ली राजधानी के क्षेत्र में ऐसे कई गाँव हो सकते हैं। आज से पंद्रह बीस वर्ष पहले इन गाँवों में खेती के अलावा और कोई भी रोजगार नहीं था। फिर तेजी से मकान बनने के कारण इन इलाकों में जनसंख्या बढ़ गई। अब गाँवों के लोग कई तरह के काम कर पा रहे हैं, जैसे दुकान खोलना, सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी, कार धुलाई, फास्ट फूड स्टॉल, आदि।

प्रश्न 15: किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं: भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी? क्यों?

उत्तर: इन सब में मानव पूँजी सबसे अच्छी है। क्योंकि मानव पूँजी के दखल के बिना बाकी के संसाधन किसी काम के नहीं होते हैं। भूमि से तभी पैदावार मिलती है जब कोई आदमी उस पर काम करे। भौतिक पूँजी तभी उपयोगी साबित होती है जब आदमी उसका सदुपयोग करते हैं। श्रम भी तभी सार्थक होता है जब उसमें मानव पूँजी के कारण कौशल आता है।