9 समाज शास्त्र

यूरोप में समाजवाद

NCERT अभ्यास

प्रश्न 1: रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?

उत्तर: उस जमाने में रूस की आबादी का एक बड़ा हिस्सा (85%) आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर था। कुछ गिने चुने स्थानों पर कारखाने खुलने लगे थे लेकिन ज्यादातर उत्पादन कारीगरों द्वारा छोटे वर्कशॉप में होता था। मजदूरों की हालत अच्छी नहीं थी और उनसे दिन में 15 घंटे तक काम लिया जाता था। मजदूरों के रहने के लिए कमरे या डॉर्मिटरी की व्यवस्था थी। मजदूरों में उनकी कुशलता के हिसाब से बहुत अधिक विविधता थी जो कि उनकी पोशाकों से भी झलकता था। रूस पर जार का शासन था जो किसी पार्लियामेंट के अधीन नहीं था बल्कि एक तानाशाह था। अधिकतर जमीन पर राजशाही, ऑर्थोडॉक्स चर्च और सामंतों का कब्जा था। रूस के किसानों की एक पुरानी परंपरा थी कि वे समय समय पर अपनी जमीन कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और फिर मीर जमीन को जरूरत के मुताबिक किसानों में बाँट देता था।

प्रश्न 2: 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन किन स्तरों पर भिन्न थी?

उत्तर: यूरोप के बाकी देशों में आबादी का 40 से 50% हिस्सा ही कृषि पर निर्भर था, जबकि रूस की आबादी का 85% हिस्सा कृषि पर निर्भर था। इंग्लैंड में औद्योगीकरण का पैमाना अधिक बड़ा हो चुका था, जबकि रूस में कुछ चुने हुए शहरों में ही औद्योगीकरण हुआ था। रूस के मजदूरों के काम करने की स्थिति अधिक कठिन थी और उन्हें दिन में अधिक घंटों तक काम करना पड़ता था।

प्रश्न 3: 1917 में जार का प्रशासन क्यों खत्म हो गया?

उत्तर: 1917 में फरवरी क्रांति शुरु हुई जिसमें मजदूरों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। सरकार ने जब भीड़ को काबू में करने के लिए घुड़सवार दस्ता बुलाया तो सिपाहियों ने मजदूरों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया। फिर सिपाहियों ने भी विद्रोह शुरु कर दिया। सिपाहियों और मजदूरों ने मिलकर एक सोवियत का गठन किया और फिर उनका प्रतिनिधि मंडल जार से मिलने पहुँचा। सेना की सलाह पर जार ने सत्ता छोड़ने के लिए हामी भर दी। इस तरह 1917 में रूस में जार का प्रशासन समाप्त हो गया।

प्रश्न 4: दो सूचियाँ बनाइए: एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्तूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।

उत्तर: फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाएँ और प्रभाव:

फरवरी क्रांति के परिणामस्वरूप रूस में जार के तानाशाही शासन का अंत हो गया जिससे एक चुनी हुई सरकार के लिए रास्ता साफ हुआ। इस आंदोलन का कोई नेता नहीं था।

अक्तूबर क्रांति की घटनाएँ और प्रभाव:

अक्तूबर क्रांति कि अगुवाई लेनिन कर रहे थे। इस घटना के बाद रूस पर बोल्शेविक का नियंत्रण हो गया और फिर एकल-पार्टी शासन की शुरुआत हुई।

प्रश्न 5: बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?

उत्तर: बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद निम्नलिखित परिवर्तन किए:

प्रश्न 6: निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए:

(a) कुलक

उत्तर: धनी किसानों को कुलक कहा जाता था। स्टालिन को शक था कि कुलक जमाखोरी कर रहे थे। कृषि के सामूहिकीकरण के दौराण कुलकों पर छापे मारे गये और उनकी जमीन जब्त कर ली गई।

(b) ड्यूमा

उत्तर: रूस के पार्लियामेंट को ड्यूमा कहते हैं। सबसे पहली ड्यूमा का गठन 1905 में हुआ था।

(c) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार

उत्तर: रूस में महिला कामगारों की अच्छी खासी संख्या थी। उद्योग में काम करने वालों में एक तिहाई महिलाएँ थीं। युद्ध के दौरान जब सभी सेहतमंद पुरुषों को युद्ध के लिए भेजा गया तो महिला कामगारों की संख्या और भी बढ़ गई।

(d) उदारवादी

उत्तर: ऐसे लोग समाज में कई तरह के बदलाव लाना चाहते थे। वे हर धर्म का सम्मान करना चाहते थे। वे जन्म के आधार पर मिलने वाले अधिकारों और सत्ता के खिलाफ थे और व्यक्ति के अधिकारों की वकालत करते थे। वे चुने हुए प्रतिनिधियों वाली एक लोकतांत्रिक सरकार चाहते थे। वैसी सरकार जिसकी समीक्षा एक प्रशिक्षित और स्वतंत्र न्यापालिका कर सके। लेकिन लिबरल लोगों के कुछ विचार लोकतांत्रिक नहीं थे। वह सार्वभौमिक मताधिकार के खिलाफ थे और चाहते थे कि केवल उन्हीं पुरुषों को मताधिकार मिले जिनके पास संपत्ति हो।

(e) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम

उत्तर: स्तालिन का मानना था कि कृषि के सामूहिकीकरण से अनाज की सप्लाई ठीक करने में मदद मिलेगी। उसने 1929 में सामूहिकीकरण की शुरुआत की। सभी किसानों को सामूहिक खेतों (कोल्खोज) पर काम करने के लिए बाध्य किया गया। जमीन और उपकरणों का स्वामित्व सामूहिक खेत को दे दिया गया। कई किसानों ने इसका विरोध किया और अपना गुस्सा जताने के लिए मवेशियों को मार दिया। सामूहिकीकरण का उचित लाभ नहीं मिला और आने वाले वर्षों में अनाज की किल्लत और बढ़ गई। 1930-33 में फसल खराब होने के कारण रूस के इतिहास का सबसे भयंकर अकाल पड़ा जिसमें 40 लाख से अधिक लोग मारे गये।