8 विज्ञान

सौर मंडल

सौर मंडल में सूर्य, ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, बौने ग्रह, आदि शामिल हैं। सौर मंडल के सारे सदस्य सूर्य का चक्कर लगाते हैं। सौर मंडल 4.6 बिलियन वर्ष पुराना है। सौर मंडल के सदस्यों के बारे में नीचे बताया गया है।

सूर्य

Size Comparison of Planets

यह सौर मंडल का केंद्र है। सूर्य के पास ऊष्मा और प्रकाश का अकूत भंडार है। सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन गैस से बना है। सूर्य का हाइड्रोजन गैस हीलियम गैस में बदलता रहता है, जिसके कारण सूर्य से विशाल मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह वैसे ही है जैसे हजारों एटम बम एक साथ विस्फोट करते हों।

ग्रह

किसी तारे का चक्कर लगाने वाले खगोलीय पिंड को ग्रह कहते हैं। सौर मंडल में आठ ग्रह हैं, जिनके नाम हैं, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून।

उपग्रह: किसी ग्रह का चक्कर लगाने वाले खगोलीय पिंड को उपग्रह कहते हैं। बुध और शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है। वृहस्पति के पास सबसे अधिक उपग्रह हैं।

बुध

यह सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह है और सूर्य के सबसे नजदीक है। यह सूर्य से 0.4 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट की दूरी पर है। सूर्य के इतना करीब होने के कारण इसे केवल शक्तिशाली दूरबीन द्वारा ही देखा जा सकता है।

शुक्र

यह सूर्य से 0.7 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट की दूरी पर है। आकार में यह लगभग धरती के बराबर है। शुक्र ग्रह सबसे गर्म ग्रह है। चंद्रमा के बाद रात के आकाश में यह दूसरी सबसे चमकदार पिंड है। गर्मियों में यह शाम में (पश्चिम) और जाड़े में सुबह में (पूरब) नजर आता है। इसलिए इसे सुबह और शाम का तारा कहते हैं।

पृथ्वी

यह एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन के होने का प्रमाण है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य से दूरी, गैसों का सही अनुपात, उचित तापमान, आदि कुछ ऐसे कारक हैं जिनके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है। पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा पानी से ढ़का है। इसलिए अंतरिक्ष से देखने पर यह नीले रंग की नजर आती है। इसलिए इसे नीला ग्रह भी कहते हैं।

मंगल

यह सूर्य से 1.5 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट की दूरी पर है। मंगल की सतह पर लौह ऑक्साइड होने के कारण यह लाल रंग का दिखता है। इसलिए इसे लाल ग्रह भी कहते हैं। मंगल के दो उपग्रह हैं, जिनके नाम हैं डेईमोस और फोबोस।

एस्टेरॉयड बेल्ट से पहले पड़ने वाले चार ग्रह शैलों से बने हैं इसलिए इन्हें टेरेस्ट्रियल प्लानेट कहते हैं। बाकी के चार ग्रह एस्टेरॉय बेल्ट के आगे पड़ते हैं। ये ग्रह मुख्य रूप से गैसों से बने हैं। इसलिए इन्हें गैसीय जायंट कहा जाता है।

वृहस्पति

यह सूर्य से 5.2 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट की दूरी पर है। यह सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका आकार पृथ्वी से 1300 गुना बड़ा है। लेकिन घनत्व कम होने के कारण इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से 388 गुना ही है। वृहस्पति के 67 ज्ञात उपग्रह हैं।

शनि

यह सूर्य से 9.5 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट की दूरी पर है। शनि के चारों ओर कई रिंग है, जो चट्टानों, गैसों और वाष्प की बनी है। इन वलयों को दूरबीन से देखा जा सकता है। शनि के 62 ज्ञात उपग्रह हैं। शनि का घनत्व इतना कम है कि यह पानी पर तैर सकता है।

यूरेनस

यह सूर्य से 19.2 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट की दूरी पर है। शुक्र की तरह, यूरेनस पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। यूरेनस का अक्ष उसकी कक्षा पर इतना झुका हुआ है कि ऐसा लगता है कि यह अपने किनारों पर लुढ़क रहा है। यूरेनस के 27 ज्ञात उपग्रह हैं।

नेप्च्यून

यह सूर्य से 30 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट की दूरी पर है। नेप्च्यून के 14 ज्ञात उपग्रह हैं। यह सूर्य से अबसे अधिक दूर स्थित ग्रह है।

एस्टेरॉयड बेल्ट

मंगल और वृहस्पति की कक्षाओं के बीच छोटे बड़े शैलों से बनी एक बेल्ट है जिसे एस्टेरॉयड बेल्ट कहते हैं। यह सूर्य से 2.3 से 3.3 एस्ट्रोनोमिकल यूनिट के बीच स्थित है। एस्टेरॉयड बेल्ट के शैलों को क्षुद्रग्रह कहते हैं।

धूमकेतु

यह एक विशेष प्रकार का खगोलीय पिंड है जो सूर्य के चारों ओर अत्यंत परवलीय (अंडाकार) कक्षा में चक्कर लगाता है। जब कोई धूमकेतु पृथ्वी के नजदीक से गुजरता है तो हमें दिखाई देता है। धूमकेतु का एक सिर होता है और एक पूँछ होती है जो वाष्प से बनी होती है। हेली का धूमकेतु और हेल बॉप दो प्रसिद्ध धूमकेतु हैं। हेली का धूमकेतु हर 76 वर्ष के बाद दिखाई देता है। आखिरी बार इसे 1986 में देखा गया था। अगली बार इसके 2062 में दिखने की संभावना है।

उल्का

जब अंतरिक्ष से कोई पिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो उसकी चाल बहुत अधिक होती है। बहुत अधिक चाल होने के कारण इतना अधिक घर्षण उत्पन्न होता है कि यह पृथ्वी पर पहुँचने से पहले ही जल कर भस्म हो जाता है। इन पिंडों को उल्का कहते हैं। रात में आप इन्हें टूटते तारे के रूप में देख सकते हैं। कभी कभी पिंड इतना बड़ा होता है कि पूरी तरह नष्ट होने के पहले ही धरती पर गिर जाता है। ऐसी स्थिति में इसे उल्कापिंड कहते हैं। उल्कापिंड से पृथ्वी को काफी नुकसान हो सकता है। ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बताते हैं कि डायनोसॉर का अंत उल्कापिंड के गिरने से हुआ था।

कृत्रिम उपग्रह

मानव निर्मित उपग्रह को कृत्रिम उपग्रह कहते हैं। आज कई कामों के लिए उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा जाता है, जैसे रिमोट सेंसिंग, टेलीकम्युनिकेशन, रक्षा, मौसम विज्ञान, आदि। आज उपग्रहों के कारण हम मोबाइल टेलिफोन, इंटरनेट, आदि का सुख भोग रहे हैं।